केंद्रीय कृषि क़ानूनों को चुनौती देने और दिल्ली की सीमाओं से किसानों को हटाने वाली याचिकाओं पर आज दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट ने आगामी आदेश तक कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी। साथ ही चर्चा के लिए एक समिति का गठन किया।
इससे पहले याचिका दायर करने वाले वकील एमएल शर्मा ने कोर्ट में कहा की किसान अदालत द्वारा गठित किसी भी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होना चाहते। इस पर चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा की हम एक कमेटी बना रहे हैं ताकि हमारे पास एक स्पष्ट तस्वीर हो। हम यह नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी में नहीं जाएंगे,
सीजेआई ने कहा की यह समिति हमारे लिए होगी। आप सभी लोग जो इस मुद्दे को हल करने की उम्मीद कर रहे हैं, इस समिति के समक्ष जाएंगे। यह एक आदेश पारित नहीं करेगा या आपको दंडित नहीं करेगा, यह केवल हमें एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
प्रधानमंत्री को नहीं बुला सकते –
इसके बाद वकील एमएल शर्मा ने कहा कि किसान कह रहे हैं कि कई लोग चर्चा के लिए आए, लेकिन प्रधानमंत्री नहीं आए। इस पर सीजेआई एसए बोबडे ने कहा की हम उन्हें नहीं बोल सकते, वह इस मामले में पार्टी नहीं हैं,
प्रस्तावित ट्रेक्टर रैली पर जारी किया नोटिस –
सुप्रीम कोर्ट ने उस आवेदन पर नोटिस किया है। जिसमें दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसानों द्वारा कृषि कानून के विरोध में निकाली जाने वाली संभावित ट्रेक्टर रैली को रोकने की मांग की गई थी। आज की इस सुनवाई में किसान संगठन के चारों वकील प्रशांत भूषण, दुष्यंत दवे, एच.एस. फुल्का, कोलिन गोंजाल्विस शामिल नहीं हुए,
किसान बैठक कर बनायेंगे आगे की रणनीति –
सुप्रीम कोर्ट में कृषि कानूनों पर जारी सुनवाई में आज एक आदेश पारित करने की संभावना है। इसी बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा की वे कार्यवाही समाप्त होने के बाद एक कोर समिति की बैठक करेंगे। उन्होंने कहा की सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेश देने के बाद एक कोर कमेटी की बैठक करेंगे और अपनी कानूनी टीम के साथ चर्चा करेंगे। फिर हम तय करेंगे कि क्या करना है। इससे पहल कल सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों की सराहना करते हुए धन्यवाद दिया था।