- मजबूत राष्ट्र निर्माण में स्वस्थ समाज की सबसे बड़ी भागीदारी- डॉ स्वप्ना वर्मा - 20/09/2023
- मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्करIBC24 के चुनावी सर्वे में भाजपा की हो सकती है वापसी! - 16/09/2023
- प्रियंका ने की मां नर्मदा की आरती, बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि इनके (भाजपा) दिलों में आपके लिए कोई आस्था नहीं है, एमपी में अब ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ के सहारे कांग्रेस! - 12/06/2023
नई दिल्ली, किसान आंदोलन से जुड़े मुद्दों को वार्ता के जरिए हल करने के प्रयासों को शुक्रवार को उस वक्त धक्का पहुंचा जब किसान नेताओं और सरकार के बीच 11वें दौर की बातचीत भी बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई। बैठक की अगली तारीख का ऐलान भी नहीं किया गया।
किसान नेताओं ने कहा कि सरकार चाहती थी कि कानून में संशोधन और उनके अमल पर एक-डेढ़ वर्ष के लिए रोक लगाने संबंधी पेशकश पर चर्चा की जाए। जबकि, किसान संगठन कानूनों की वापसी पर कायम थे। किसान नेताओं के अनुसार बैठक में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि कानूनों में कोई कमी नहीं है। सरकार ने किसानों का सम्मान करते हुए उनके सामने पेशकश की थी। इस पर किसान संगठन फैसला नहीं कर सके। किसान संगठन आने वाले दिनों में यदि किसी निर्णय पर पहुंचते हैं तो सरकार को सूचित करें। सरकार पूरे प्रकरण पर किसान संगठनों के साथ फिर चर्चा करेगी।
सरकार ने डेढ़ साल स्थगित की पेशकश –
किसान नेताओं के अनुसार कृषि मंत्री ने कहा कि यह सरकार वार्ता संबंधी बैठकों की प्रक्रिया को समाप्त कर रही है। उल्लेखनीय है कि पिछले करीब एक महीने के दौरान सरकार और किसान संगठनों के बीच कुछ अंतराल के बाद बातचीत होती रही है। बातचीत का पिछला दौर सबसे सकारात्मक था जब सरकार ने नए कृषि कानूनों को एक-डेढ़ साल तक स्थगित करने की पेशकश की थी। सरकार के इस प्रस्ताव को किसान नेताओं ने खारिज कर दिया था।
बैठकों का दौर समाप्त –
किसान संगठनों के इस रवैये के कारण; लगता है कि सरकार का मिजाज भी कुछ सख्त हो गया है। किसान आंदोलन और राजधानी दिल्ली की घेराबंदी का मामला इस समय सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है। 26 जनवरी की प्रस्ताविक ट्रैक्टर रैली रोकने के लिए कोर्ट ने कोई आदेश जारी करने से इन्कार कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा है कि वह कानून व्यवस्था और परिस्थितियों के आधार पर खुद फैसला कर सकती है।