Home देश दिल्ली अगर फेसबुक पर परिचित की दोबारा रिक्वेस्ट आए तो हो जाए सावधान, जानें क्या है मामला…..

अगर फेसबुक पर परिचित की दोबारा रिक्वेस्ट आए तो हो जाए सावधान, जानें क्या है मामला…..

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नई दिल्ली। लॉकडाउन में सोशल मीडिया का यूज बढ़ गया है। लोग अधिकांश समय फेसबुक, व्हाट्सएप का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर रहे हैं। इसबीच साइबर ठगों ने भी नया रास्ता निकाल लिया है। ऐसे में आपको सावधान रहने की जरूरत है। हो सकता है फेसबुक पर आपके पास किसी ऐसे परिचित की फ्रैंड रिक्वेस्ट आए तो पहले से आपकी फ्रैंड लिस्ट में है तो अलर्ट हो जाए। बिना संबंधित व्यक्ति से फोन पर बात किए फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार ना करें। बिना जांच पड़ताल किए किसी की भी फेसबुक रिक्वेस्ट स्वीकार करने से आप दिक्कत में पड़ सकते हैं।

हम आपको बता दें कि साइबर ठगों ने अब ठगी करने के लिए कोरोना का सहारा लेना शुरू कर दिया है। लोगों को एप्लीकेशन, लिंक और क्यूआर कोड भेज कर कोरोना से लड़ने के लिए दान करने को प्रेरित किया जा रहा है। इनके चक्कर में फंस कर कुछ लोग अपने पैसे गवां भी चुके हैं। यहां तक कि पीएम केयर्स के नाम पर भी ठगी शुरू हो गई है।

कोरोना ने महामारी का रूप लिया तो इससे लड़ने के लिए लोगों ने दिल खोलकर दान करना शुरू कर दिया। लोगों की दरियादिली का साइबर ठग फायदा उठा रहे हैं। ठग लोगों को ईमेल और व्हाट्सएप करके ऐसे लिंक और कोड भेज रहे हैं जिस पर क्लिक करते ही खातों से पैसा उड़ जा रहा है। कुछ लोगों को रिमोट एक्सेस ट्रोजान एप डाउनलोड करने के लिए कहा जा रहा है। लोगों को एप में अपनी बैंक कार्ड डिटेल भरने को कहा जाता है। जो लोग झांसे में आकर कार्ड की डिटेल भर दे रहे हैं उन्हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह ऐसे ऐप हैं जिनके माध्यम से ठग कहीं भी बैठे बैठे दूसरे के कंप्यूटर या मोबाइल को संचालित कर सकते हैं।

दानदाता सबसे अधिक पीएम केयर्स फंड में दान कर रहे हैं। बैंकों में जाकर कैश या चेक देने की जगह लोग यूपीआई का अधिक इस्तेमाल करते हैं। सरकार ने इसके लिए पीएमकेयर्स@एसबीआई नाम से यूपीआई आईडी जारी की है। मगर ठगों ने एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, यस बैंक, पीएनबी आदि नाम से भी आईडी बना ली। इन पर जो पैसा भेजा जा रहा है तो वह प्रधानमंत्री खाते में नहीं पहुंच रहा है। बल्कि ठगों को मिल रहा है। स्टेट बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक आरके गौड़ ने बताया कि साइबर सिक्योरिटी नियामक ने लोगों को सचेत भी किया है कि वे सिर्फ पीएमकेयर्स@एसबीआई पर ही यूपीआई के माध्यम से पैसा दान करें।

कुछ लोगों को कोरोना वायरस से लड़ने की ट्रेनिंग के भी मेल आ रहे हैं। इस ट्रेनिंग में भाग लेने के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरवाया जाता है। जब लोग ऑनलाइन फॉर्म को दिए गए लिंक पर क्लिक करते हैं तो वह एक अन्य वेबसाइट का पेज खुल जाता है। इस पर ही एक फार्म रहता है। इसको भरते ही साइबर ठग आपकी सारी सूचना को चुरा कर बैंक खाता साफ कर दे रहे हैं।

ठगी के लिए लोग एफबी मैसेंजर का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके लिए ठग पहले किसी व्यक्ति के फेसबुक अकाउंट को हैक करते हैं। फिर एफबी मैसेंजर के माध्यम से उसके दोस्तों को मैसेज कर पैसे मांग रहे हैं। इन दिनों यह कहकर पैसा मांगा जा रहा है कि मैं लॉकडाउन के चलते दूसरे शहर में फंस गया है। मेरे पास खाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। दोस्त को संकट में फंसा देखकर लोग पैसे भेज दे रहे हैं। बाद में पता चलता है कि उसकी आईडी हैक हो गई थी।

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन साइबर क्राइम एंड साइबर लॉ के चेयरमैन अनुज अग्रवाल कहते हैं कि साइबर ठग हमेशा नए-नए टर्म और तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। इस समय कोरोना का सहारा लिया जा रहा है। एक बात भली-भांति समझ लें कि कोरोना को लेकर सरकार जो भी दान ले रही है, उसके लिए ना तो आपको कोई लिंक भेज रही है और ना ही किसी तरह के कोड को स्कैन करने के लिए कहा जा रहा है। यदि आप सतर्क रहेंगे तो कोई भी आपको नहीं ठग पायेगा।

आप किसी को भी यह जानकारी न दें

  • क्रेडिट/डेबिट कार्ड नंबर
  • कार्ड का सीवीवी नंबर
  • कार्ड वेरिफिकेशन नंबर
  • कार्ड एक्सपायर डेट
  • पासवर्ड
  • इंटरनेट बैंकिंग लॉगिन
  • गोपनीय जानकारी

इन बातों का ध्यान रखें खाताधारक

  • कोरोना से लड़ाई को फंड जुटाने के लिए सरकार या बैंक कोई लिंक या कोड नहीं भेज रहे हैं।
  • यदि आपकी मेल अथवा व्हाट्सएप पर ऐसा कोई लिंक या कोड आता है तो उसको बिल्कुल भी क्लिक ना करें।
  • इसी तरह से सरकार अथवा कोई भी बैंक आपको किसी एप्लीकेशन को डाउनलोड कर दान देने को नहीं कह रहा है।
  • अपने सिस्टम व एंटी वायरस को समय समय पर अपडेट करते रहे।
  • किसी भी संस्था को ऑनलाइन चंदा देने से पूर्व उसकी अच्छी तरह पड़ताल कर लें।
  • किसी को भी अपने किसी बैंक, सोशल मीडिया अकाउंट या ईमेल अथवा अन्य किसी अकाउंट की जानकारी शेयर न करें।
  • मोबाइल पर किसी से भी अपने बैंक खातों या एटीएम से जुड़ी जानकारी साझा नहीं करें।
  • अगर फोन पर किसी को धोखे से पासवर्ड बता दें तो तुरंत हेल्पलाइन पर फोन कर कार्ड डी-एक्टीवेट करा दें।
  • ऑनलाइन खातों और एटीएम-क्रेडिट कार्ड के पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहें।
  • बैंक खातों के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए एक अलग ई-मेल एकाउंट बनाएं।
  • साइबर कैफे में नेट बैंकिंग भूल कर के भी नहीं करें।
  • बैंक वेबसाइट का प्रयोग करते समय स्पेलिंग सही से चेक कर लें।
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