सतना: में हुई तेज हवा बारिश के साथ अति ओलावृष्टि से इलाके के किसान भुखमरी की कगार पर आकर खड़े हो गए है। चना गेहूं व दलहन फसलें 100 फ़ीसदी तबाह हो चुकी है। आलम यह है की जीविकोपार्जन का एकमात्र साधन खेती तो नष्ट हो ही गई बल्कि गरीब किसानों के कच्चे मकान भी पूरी तरह नष्ट हो गए हैं, अब किसानों के पास कुछ भी नहीं बचा, सभी की निगाहें सरकार पर टिकी हुई है के आसमान से बरसी आफत के बाद शासन इनकी क्या मदद करता है।
21फरवरी की साम सतना का मझगवां छेत्र कश्मीर घाटी में तब्दील हो गया था। जहां हुई ओलावृष्टि से पूरा इलाका सफेद बर्फ की चादर में ढक गया, जिसका दृश्य किसी रोमांच से कम नहीं था, लेकिन यह बर्फ बारी किसानों के लिए आसमान से बर्पी किसी बड़ी आपदा से कम भी नहीं, किसानों की गेहूं, चना, सर्षों और दलहन फसलें पूरी तरह से तबाह हो गई है। सबसे ज्यादा नुकसान चित्रकूट के मझगवां स्थित कानपुर, उमरिया, देवला, पटनी, चकरा, समेत लगे हुए दर्जनों गांवों में हुआ है। किसानों की माने तो अधिकांश किसानों ने कर्ज लेकर खेती करी थी, जीनके जीने के लिए एकमात्र साधन खेती होने से इनके पास कुछ भी नहीं बचा। इस विपत्ति के बाद खाने का संकट तो पैदा हुआ ही है दूसरी ओर पत्थरों से कच्चे मकानों की छत टूटने से रहने लायक घर भी नही बचे।
लगातार कई घंटों तक हुई बर्फबारी से इलाके की पहाड़ी नदी तक बर्फ से कई फिट तक भर गई जिसे देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आसमानी आफत ने किस कदर क्षेत्र में अपना कहर बरपाया है,, ओलावृष्टि और पानी के साथ तूफानी हवाओं ने जिस तरह किसानों के जीवन में जहर घोला है
उसका जायजा लेने जिला प्रशासन की टीम भी मौके पर पहुंची मौके पर पहुंचे जिला प्रशासन के अधिकारियों की माने तो किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है गेहूं चना दलहन की फसलें नष्ट हुई जिस पर सर्वे किया जाएगा और किसानों को उचित मुआवजा दिलाने का काम किया जाएगा।
साल दर साल मौसम की मार झेलते इन किसानों की एक बार फिर फसल बर्बाद होने से रोजी रोटी का संकट आखड़ा खड़ा हुआ है देखना होगा कि किसानों कि इस संकट की घड़ी में प्रशासन इनके जख्मों पर मलहम लगा पाता है या फिर एक बार फिर सिर्फ मदद की अस में यूं ही समस्याएं बानी रहेंगी।