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भोपाल
बुंदेलखंड पैकेज में करप्शन के लिए जिम्मेदार माने गए सभी 12 इंजीनियरों को राज्य शासन ने क्लीनचिट दे दी है। आठ साल पहले हुए भुगतान और निर्माण कार्यों में अनियमितता के मामले में जल संसाधन विभाग ने इन्हें नोटिस थमाए थे। इन अधिकारियों में कार्यपालन यंत्री, एसडीओ, उपयंत्री स्तर के अधिकारी शामिल हैं। विभाग ने क्लीनचिट देते हुए कहा है कि जिनके विरुद्ध आरोप पत्र जारी किए गए थे उन्हें आंशिक तौर पर करप्शन के लिए जिम्मेदार पाया गया लेकिन आरोप प्रमाणित नहीं किया जा सका।

जल संसाधन विभाग के अपर सचिव आशीष कुमार द्वारा इसको लेकर जारी आदेश में कहा गया है कि तत्कालीन कार्यपालन यंत्री एचडी कुम्हार, दीपक सातपुते, तत्कालीन एसडीओ एके त्रिपाठी, तत्कालीन उपयंत्री एससी माहौर, एमसी आर्या, एमएस पवैया, रिटायर्ड एसडीओ जेआर कनेरिया, आरपी शर्मा, एमएल जैन, रिटायर्ड सब इंजीनियर एमएल गुप्ता, पीके अमर, एमके चौबे को बुंदेलखंड पैकेज के क्रियान्वयन में करप्शन के लिए दोषी मानते हुए मुख्य तकनीकी परीक्षक द्वारा जांच की गई थी। यह गड़बड़ी सीई राजघाट नहर परियोजना दतिया में हुए निर्माण कार्यों में गड़बड़ी को लेकर थी। विभाग ने इन अधिकारियों को सत्यापन कराए बगरै फर्जी माप के आधार पर भुगतान करने, निर्माण कार्य का पर्यवेक्षण नहीं किए जाने, कल्याणपरुा नहर सीसी लाइनिंग परियोजना के क्षतिग्रस्त पाए जाने पर नोटिस दिए गए थे। साथ ही भांडेर मुख्य नहर की अमहा नहर में कराए गए काम में भी गड़बड़ी पाई गई थी। विभाग ने आरोप पत्र में खुद ही कहा था कि इन अधिकारियों ने पैकेज में कराए गए लाइनिंग के काम में गड़बड़ की है और भुगतान में अनियमितता हुई है। इससे शासन को नुकसान पहुंचा है और कार्य की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। सबसे अधिक शिकायत मेजरमेंट बुक में फर्जी फीडिंंग के मामले में थी। यह गड़बड़ 2014-15 और 2015-16 में होने की बात आई थी जिसकी पांच साल से जांच चल रही थी। अब जल संसाधन विभाग के अफसरों ने जिस आरोप पत्र के आधार पर संबंधित इंजीनियरों को कार्यवाही के दायरे में लिया था, उन्हें क्लीनचिट दे दी है।