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हवाई पट्टी तिराहे का नाम बदलने को लेकर सतना में फूटा जनाक्रोश…

अमित मिश्रा/सतना।

नगर निगम का घेराव, महापौर ने दी लिखित सफाई…..

सतना। नगर निगम सतना के एक चर्चित फैसले ने शहर में जनाक्रोश को जन्म दे दिया है। सोमवार को रॉयल राजपूत संगठन के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में सर्व समाज के लोगों ने नगर निगम सतना का घेराव कर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। मुद्दा था हवाई पट्टी तिराहे का नाम वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप से बदलकर महाराजा सहस्त्रबाहु के नाम करने की कथित चर्चा/योजना..

प्रदर्शनकारियों ने महापौर योगेश ताम्रकार के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसमें स्पष्ट मांग की गई कि हवाई पट्टी तिराहे का नाम पूर्ववत महाराणा प्रताप के नाम पर ही रखा जाए। प्रदर्शन के दौरान मौजूद लोगों ने यह सवाल उठाया कि जब उस चौराहे पर पहले से ही महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित है, तो फिर नाम बदलने की आवश्यकता ही क्यों पड़ी? इस कदम को समाज ने ऐतिहासिक प्रतीकों के साथ छेड़छाड़ करार दिया।

संगठनों ने आरोप लगाया कि नगर निगम का यह निर्णय किसी सामाजिक सहमति पर आधारित नहीं है, बल्कि यह समाज विशेष की भावनाओं को आहत करने जैसा है। विप्र सेना, क्षत्रिय महासभा, रॉयल राजपूत संगठन सहित कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने मंच से नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए।

रॉयल राजपूत संगठन के पदाधिकारी नीरज सिंह और सत्येंद्र सिंह ने बताया कि वीर महाराणा प्रताप तिराहे का नाम बदले जाने पर आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारी किसी समाज, जाति या धर्म से कोई दुश्मनी नहीं, पर स्थापित प्रतिमा हटाकर अन्य प्रतिमा लगाना स्वीकार नहीं। हम सभी महापुरुषों का सम्मान करते हैं। मांग है कि हवाई पट्टी तिराहे की जगह किसी अन्य खाली चौराहे/स्थान पर नई प्रतिमा स्थापित कर उनका नामकरण किया जाए। यदि ऐसा नहीं हुआ, स्थापित प्रतिमा हटाई गई, तो विरोध के लिए महापौर और निगम प्रशासन जिम्मेदार होंगे।

महापौर योगेश ताम्रकार ने विरोध को देखते हुए तुरंत एक लिखित पत्र जारी किया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी तक नगर निगम परिषद ने तिराहे के नाम परिवर्तन को लेकर कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया है। ताम्रकार एवं जयसवाल समाज द्वारा दिए गए सुझाव को केवल सामाजिक चर्चा के रूप में रखा गया था, जिसे परिषद की विधिवत स्वीकृति नहीं मिली है।

महापौर ने पत्र में यह भी कहा कि नगर निगम परिषद इस प्रस्ताव की पुनः समीक्षा करेगा और समाज की भावनाओं के अनुरूप निर्णय लिया जाएगा। जब तक परिषद अंतिम निर्णय नहीं लेती, तब तक इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के सम्मान और योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा, और समाज की भावनाओं का सम्मान हर हाल में सुनिश्चित किया जाएगा।

इस घटनाक्रम से शहर में व्यापक चर्चा शुरू हो गई है। नागरिक यह सवाल उठा रहे हैं कि यदि नगर निगम नई प्रतिमा लगाना चाहता है, तो उसके लिए शहर में कई अन्य स्थान उपलब्ध हैं। पहले से स्थापित ऐतिहासिक प्रतिमाओं और नामों में परिवर्तन से केवल सामाजिक विवाद और भ्रम की स्थिति उत्पन्न होगी

विरोध की गंभीरता को देखते हुए यह मामला अब केवल प्रशासनिक नहीं रहा, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना का मुद्दा बन गया है। नगर निगम की अगली परिषद बैठक में यह विषय प्रमुखता से उठने की संभावना है। अब देखना यह होगा कि निगम प्रशासन समाज की भावनाओं का कितना सम्मान करता है और क्या यह प्रस्ताव भविष्य में भी विचारणीय रहेगा या स्थायी रूप से निरस्त किया जाएगा।

एसडीएम सिटी राहुल सिलाड़िया 👇

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