राम के प्रति आस्था भी कांग्रेस नेतृत्व ने ठेंगे पर रख दी। पार्टी ने उन 3 करोड़ अधिकृत पार्टी कार्यकर्ताओं की आस्था की भी रत्तीभर परवाह नही की न देशभर में फैले पार्टी नेताओं से इस विषय मे कोई राय मशविरा किया। ‘दक्षिण की राजनीति’ के फेर में ‘उत्तर की आस्था’ को दांव पर लगा दिया गया। महज 15 प्रतिशत वोटर्स के लिए 85 फीसदी भारतीय-बहुसंख्यक वोट दरकिनार कर दिए गए। पार्टी ने वो सुनहरा मौका भी छोड़ दिया जो राहुल के पिता और सोनिया के पति राजीव गांधी से जुड़ा था। आखिरकार रामजन्मभूमि के बंद ताले राजीव गांधी ने ही तो खुलवाए थे। राजीव शिलान्यास के बाद वे पूरी तरह से मंदिर निर्माण के पक्ष में थे और इस काम की पूरी जमावट के बाद ही ताले खुलवाए थे। राजीव नहीं मारे जाते तो देश की राजनीति में मंदिर मुद्दा ही नहीं बनता। पार्टी इस सबसे वाकिफ़ होते हुए भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूर हो गई।
पार्टी नेता, कार्यकर्ता हताश-निराश औऱ शीर्ष नेतृत्व से नाराज़ हैं। उसका कहना है पार्टी के इस कदम ने उनके लिए जमीन पर पंजे के लिए काम करने की जगह ही नही छोड़ी। सबसे ज्यादा परेशानी तो हाल-फिलहाल आ रही है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं को समाज के बीच खड़े रहने की जगह ही नहीं मिल रही हैं। ‘रामोत्सव’ में पार्टी वर्कर्स भी शामिल होना चाहते हैं लेकिन जहां भी जाते हैं, ताना मिलता है आ गए राम विरोधी।
शीर्ष नेतृत्व के एकतरफा फैसले के प्रति नाराज़गी ही है ये कि प्रदेश में कमलनाथ ने अपने छिंदवाड़ा को राममय स्वरूप में सजाया हैं। नाथ ने 4 करोड़ रामनाम लिखे पत्र अयोध्या भी रवाना किए हैं। अपने हनुमंत धाम को भी दुल्हन जैसा सजाया है। यही काम कर्नाटक में डीके शिवकुमार कर रहे हैं। मंदिरों में विशेष साज सज्ज़ा के संग सुंदरकांड का पाठ हो रहे है। जयराम रमेश जैसे दिग्गज़ भी खुलेआम कह रहे हैं राजनीति धर्मनिरपेक्ष हो सकती है लेकिन व्यक्ति तो धर्म सापेक्ष है।
क्षेत्रीय दल समझदार निकले, अलग-थलग हुई कांग्रेस
कांग्रेस को उम्मीद नही थी अन्य दल अलग राह पकड़ लेंगे औऱ वह इस प्रसंग में अलग-थलग पड़ जाएंगी। देश की सबसे पुरानी पार्टी से ज्यादा समझदार तो सपा, बसपा, आप, टीएमसी, जनता दल, राजद आदि निकले। इन पार्टियों ने कांग्रेस जेसा कोई घोषित विरोध या फरमान जारी नहीं किया।
शुद्ध अल्पसंख्यक वोटर्स के दम पर राजनीति कर रही सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने भी ऐलान कर दिया सपरिवार अयोध्या जाएंगे। ममता बनर्जी कोलकाता के काली मंदिर में 22 जनवरी को पूजन करेंगी। एक सर्वधर्म पदयात्रा भी मुहूर्त के समय निकालेंगी। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल की सुंदरकांड की जाजम बिछ चुकी हैं और उन्होंने इसे हर माह करने की घोषणा भी की। बसपा सुप्रीमो मायावती ने तो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर समारोह का स्वागत कर दिया। नीतीश-तेजस्वी का बिहार और राजद-जनता दल भी कांग्रेस जैसे फरमान से साफ बचे। कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी रही जो घोषणा कर रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूर हुई।