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जिले में पटवारियों का ही राज, सतना बना अपवाद…….

सतना। मध्य प्रदेश में जब भी पटवारियों के तबादले का दौर शुरू होता है, सतना जिला हर बार अपवाद साबित होता है। यहां पटवारी खुद तय करते हैं कि किसे कहां पोस्टिंग चाहिए। यही नहीं, बड़ी संख्या में पटवारी वर्षों से अपने गृह जिले में ही जमे हुए हैं। अधिकारियों की आंखों के सामने यह व्यवस्था चल रही है लेकिन कार्रवाई नदारद है।

बताया जाता है कि सतना के कई पटवारियों के भूमाफियाओं से सीधे संबंध हैं। वे जमीन सौदों में अप्रत्यक्ष रूप से साझेदार हैं। सफेदपोश माफियाओं के साथ मिलकर चल रहा यह गठजोड़ इतना मजबूत है कि कोई भी नया तहसीलदार आये, चंद दिनों मे वह चर्चित पटवारी और आरआई उनके खास बन जाते हैं।

स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां जमीन खरीदने के लिए लोग सीधे पटवारी से संपर्क करते हैं, न कि प्रॉपर्टी डीलर से, क्योंकि वही सारे काम करवाते हैं। राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी इनकी जानकारी रखते हैं, पर ‘मैनेजमेंट’ के चलते आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

सरकार चाहे जितने भी दावे करे, लेकिन सतना में कुछ चर्चित पटवारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? अगर जिले के कुछ चर्चित पटावरियों की जांच की जाए तो प्रदेश स्तर के बड़े खुला से हो सकते हैं….

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