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कृषि कानून, हठधर्मिता और आर्थ‍िक नुकसान, वही किसानों को मिल रहा बाहरी समर्थन,

अमित मिश्रा,

देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र का योगदान कितना महत्वपूर्ण है यह किसी को आज बताने की आवश्‍यकता नहीं। वस्‍तुत: मौजूदा समय में कृषि, राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 14 प्रतिशत से अधिक का योगदान करती है और देश के श्रमिकों के 40 प्रतिशत से अधिक हिस्से को आजीविका प्रदान करती है। बावजूद इसके जब-जब कृषि छेत्र की सेहत कुछ खराब हुई है तब-तब विभिन्‍न केंद्र व राज्‍य सरकारों ने समय-समय पर इसे संजीवनी देने का भरसक प्रयास किया है,

वस्‍तुत: इस आन्‍दोलन के चलते अब स्‍थ‍िति यह हो गई है कि आन्‍दोलनकारी किसानों को तो बाहरी समर्थन मिल रहा है, देश तोड़नेवाली ताकतें इस किसान आन्‍दोलन की आड़ में अपनी रोटी सेंकती दिख रही हैं। लेकिन दूसरी ओर इसके कारण देश की अर्थव्‍यवस्‍था को हर रोज कई हजार करोड़ का नुकसान पहुंच रहा है,

आर्थ‍िक तथ्‍यों को देखें तो देश में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की संयुक्त अर्थव्यवस्था करीब 18 लाख करोड़ रुपये की है। किसानों के आंदोलन और सड़क, टोल प्लाजा, रेलवे को रोक देने से इन राज्यों की आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गयी हैं। मुख्यत: निर्यात बाजार की जरूरतें पूरी करने वाली कपड़ा, ऑटो कम्पोनेंट, साइकिल, स्पोर्ट्स गुड्स आदि इंडस्ट्री अपने ऑर्डर नहीं पूरे कर पा रहीं। इससे वैश्विक खरीदारों में हमारे भरोसे को नुकसान पहुंच रहा है,

वर्तमान में हकीकत यही है कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर जाने वाले माल को पहुंचने में अब 50 फीसदी ज्यादा समय लग रहा है। इसी तरह हरियाणा, उत्तराखंड और पंजाब से दिल्ली आने वाले यातायात वाहनों को 50 फीसदी ज्यादा दूरी तय कर आने को मजबूर किया जा रहा है। दिल्ली के आसपास के औद्योगिक इलाकों को मजदूरों की कमी से जूझना पड़ रहा है, क्योंकि आसपास के कस्बों से मजदूरों का कारखानों तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है,

एक बात और आपको बता दें कि कांग्रेस और वाम दल भी किसानों को जिस तरह उकसाने में लगे हुए हैं, यह भी देश के हित में कहीं से भी नहीं है,

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