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नई दिल्ली/वेब डेस्क। भारत में मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित करने में साल से डेढ़ साल का समय लग सकता है। इस बीच एक अच्छी खबर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के दौरान सामने आई है। इस बात के संकेत मिले हैं कि एचाईवी (HIV)के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा लोपिनाविर और रिटोनाविर कोरोना के मरीजों पर कारगर साबित हो रही है। इसके मद्देनजर सरकार ने फर्मा कंपनियों से दोनों दवाइयों का प्रोडक्शन बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा कंपनियों के साथ लंबी बैठक की। इसमें कमिटी ऑफ एक्सपर्ट्स ने सिपला, माइलन, ऑरोबिंदो और अन्य कंपनियों को एंटी एचआईवी दवाइयों का स्टॉक बढ़ाने को कहा है। लोपिनाविर और रिटोनाविर एंटी रेट्रोवायरल दवा है। ये एचाआईवी को स्वस्थ कोशिकाओं में घुसने से रोकती है। भारत इस समय इन दोनों दवाइयों का निर्यात अफ्रीकी देशों को करता है।
मंत्रालय के अधिकारियों ने एक समाचार पत्र को बताया कि कंपनियों को दोनों दवाइय़ों का प्रॉडक्शन बढ़ाने के लिए कहा गया है। हालांकि एक्सपोर्ट पर किसी तरह की पाबंदी नहीं लगाई गई है। इटली से भारत आई दंपती के इलाज में लोपिनाविर और रिटोनाविर कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया गया। यह दंपती जयपुर में कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया था। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा, दंपती की सहमति लेकर दोनों दवाई दी गई। इसका असर अच्छा हुआ। 14 दिनों बाद अब वे लगभग स्वस्थ हैं।
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने आईसीएमआर को इस बात की अनुमति दी है कि Covid-19 के इलाज में एंटी एचआईवी दवाइयों का इस्तेमाल किया जा सकता है। फिलहाल कोरोना वायरस का कोई पक्का इलाज ज्ञात नहीं है।
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