मध्य प्रदेश में सियासी उठापटक मची हुई है। कभी विपक्ष हावी दिखता है, तो कभी सत्ता पक्ष, कभी चर्चा आती है कि सरकार गिरने वाली है तो कभी दावे किए जाते हैं कि सरकार सुरक्षित है। दरअसल इस सियासी उठापटक के पीछे की वजह कुछ और ही सामने आ रही। सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि कमलनाथ सरकार माफियाओं पर नकेल कसने के लिए कमर कस चुकी है। प्रदेश में शराब माफिया, ड्रग माफिया, खनिज माफिया, और भू माफियाओं ने लंबे वक्त से अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया है। सरकार के इस फैसले से उनके किले की दीवारें ढहने का डर है। लिहाजा ये सभी माफिया विपक्ष को फंडिंग कर रहे हैं की कमजोर विधायकों को मुंह मांगी कीमत देकर खरीद लिया जाए।
ऐसा सोचते हैं माफिया..
राजनैतिक पंडितों का कहना है कि सभी माफियाओं का यह सोचना है कि यदि वर्तमान सरकार गिरा दी जाए तो उनपर गिरने वाली गाज से वे बच जाएंगे और नई सरकार बनने से उनका साम्राज्य यथावत रहेगा। वर्तमान में यही एक वजह सामने आई है जो इस सियासी हलचल को पैदा कर रही है।
बड़े नेताओं का भी पैसा इनके पास..
वहीं दूसरी बात यह भी सामने आ रही की प्रदेश के कई बड़े नेताओं का पैसा इन्हीं माफियाओं के पास गलाने के लिए रखा हुआ है जो प्रदेश की भोली-भाली जनता की जेब में डाका डालकर कमाया गया है। उन नेताओं को भी अपनी इस काली कमाई पर काले बादल मंडराते दिख रहे है।
बाबरिया ने भी उठाए थे सवाल..
बीते दिनों की बात करें तो विपक्ष ने यह दावा भी किया था कि हम कांग्रेस के विधायकों को खरीद सकते हैं और सरकार कभी भी गिरा सकते हैं उन दिनों मध्य प्रदेश के दौरे में आए कांग्रेस के कद्दावर नेता दीपक बाबरिया ने भी यह कहा था कि आखिर विपक्ष के पास इतना पैसा आया कैसे जो इतनी बड़ी कीमत देकर खरीद-फरोख्त की बात कर रहे।
बात चाहे जो भी हो ऐसे में इनकम टैक्स विभाग को भी चाहिए कि अपने मुखबिर तंत्र को मजबूत करें क्योंकि इतनी बड़ी मात्रा में रकम की जो बात हो रही है वह पैसा आखिर कहां है और कहां से आ रहा है।