देश में कृषि कानून लागू होने के बाद से किसान आंदोलन पिछले 60 दिनों से लगातार जारी है। इस आंदोलन के बीच लोगों के मन में सवाल उठने लगा है की क्या एनडीए 2024 में दोबारा सत्ता की सीढियां चढ़ेगी। कृषि कानूनों में संसोधन करने के बाद भाजपा ने एनडीए में शामिल अपने सबसे पुराने सहयोगी अकाली दल को खो दिया है।
साल 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से एक के बाद एक 19 दल एनडीए से अलग हो गए है। इसके हाल ही में हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी एनडीए का भी साथ छोड़ दिया है।राजनीतिक दलों द्वारा इस तरह एनडीए का साथ छोड़ने से 2024 में भाजपा की सत्ता में वापसी की ख्वाहिश चकनाचूर हो सकती है।
अकाली दल –
साल 2020 में केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों के लागू होने के बाद किसान आंदोलन के समर्थन में अकाली दल ने एनडीए का सतह छोड़ दिया था। भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार से अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।
शिवसेना –
महाराष्ट्र से एनडीए में शामिल सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना ने भी 2020 में ही भाजपा का साथ छोड़ा। विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों के बीच हुए गतिरोध के परिणाम स्वरूप शिवसेना एनडीए से दूर हो गई।
टीडीपी –
साल 2018 में दक्षिण भारत से एनडीए में शामिल चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगुदेशम ने भी एनडीए को छोड़ दिया था। जिसके बाद दक्षिण भारत में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। अब 2024 में भाजपा को सत्ता में आने के लिए दक्षिण भारत में नए साथी की तलाश करनी पड़ सकती है।
बिहार में सहयोगियों की स्थिति स्पष्ट नहीं –
दक्षिण भारत, पंजाब और महाराष्ट्र के सहयोगियों द्वारा एनडीए से बाहर होने के बाद बिहार में भी संकट नजर आ रहा है। बिहार से एनडीए में शामिल नितीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू और चिराग पासवान की लोजपा की स्थिति स्पष्ट नहीं हैं। दरअसल, हाल ही में अरुणाचल में जेडीयू के 7 विधायकों को भाजपा ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। जिसके बाद से दोनों पार्टियों में मनभेद उत्पन्न होने की खबर सामने आ रही है। हालांकि बिहार में भाजपा ने नीतीश की कुर्सी को संभाले रखा है। जिसके चलते जेडीयू अभी एनडीए में ही है लेकिन आने वाले समय में साथ रहेगी या नहीं इस पर संशय बना हुआ है।
वहीँ पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोजपा प्रमुख राम विलास पासवान के निधन के बाद सांसद चिराग ने बिहार में एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा। हालांकि केंद्र में अपना समर्थन जारी रखा था। बिहार में एनडीए से अलग होने के कारण जेडीयू को नुकसान हुआ। ऐसे में अब चिराग और लोजपा का एनडीए में क्या भविष्य है। ये देखने लायक है।
2024 में बढ़ सकती हैं मुश्किलें –
देश में ऐसी कई पार्टियां है, जो ना तो एनडीए में और नाही यूपीए का हिस्सा है। ऐसी पार्टियां 2024 में भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल बन सकती है। एक सर्वे के अनुसार सपा, बसपा, टीएमसी, आम आदमी पार्टी, पीडीपी, एयूडीएफ, एएमएमके, इनेलो, अकाली दल, टीआरएस, बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, टीडीपी आदि 2024 में 200 से अधिक सीटें हासिल कर सकती है।
ये दल छोड़ चुके है एनडीए का साथ –
2014-2016 – हरियाणा जनहित कांग्रेस, मरलमाची द्रविड़ मुनेत्र कझगम, डीएमडीके, पीएमके, आरएसपीके, जेएसपी , जनाधिपत्य राष्ट्रीय सभा
2017- स्वाभिमानी पक्ष (महाराष्ट्र)
2018-2019 हिंदुस्तानी आवामी मोर्चा, एनपीएफ, टीडीपी, जीजेएम, केपीजेपी, रालोसपा, वीआईपी, सुभासपा
2020- शिवसेना, अकाली दल, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी