नेता जी के फर्जी पत्र से पटवारियों के तबादले, प्रशासन में मचा हड़कंप…….

सतना। जिले की रघुराजनगर तहसील में 1 अप्रैल को 9 पटवारियों के तबादले का मामला विवादों में घिर गया है। जिन पटवारियों को हटाने की बात थी, उन्हें राजस्व के लिहाज से लाभकारी हल्कों में भेजे जाने की चर्चाये हैं। जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया। तबादलों पर प्रतिबंध के बावजूद हल्के बदले जाने और शहरी-ग्रामीण तबादलों को शहरी एसडीएम द्वारा करने पर सवाल उठने लगे।
भाजपा पदाधिकारी का नाम फर्जी तरीके से किया गया इस्तेमाल
तबादलों का आधार भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष अशोक कोल के नाम से जारी एक पत्र बना। जब यह मामला अशोक कोल तक पहुंचा, तो उन्होंने इसे फर्जी करार देते हुए तुरंत मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) और कलेक्टर को सूचित किया। उन्होंने बताया कि ऐसा कोई पत्र उनके द्वारा नहीं लिखा गया है। इसकी सूचना उन्होंने फैक्स के जरिए मुख्यमंत्री कार्यालय को भी भेजी है।
कैसे हुई फर्जी पत्राचार की शुरुआत?
15 नवंबर 2024 को अशोक कोल के नाम से एक पत्र मुख्यमंत्री को भेजा गया, जिसमें रघुराजनगर तहसील में 5 साल से जमे पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों के तबादले की मांग की गई थी। पत्र में आरोप लगाया गया कि सतना, सोहावल और रामस्थान सर्किल में पटवारी और आरआई (राजस्व निरीक्षक) मिलकर किसानों को डरा-धमकाकर जमीनों की हेरफेर कर रहे हैं। पत्र में आरोप था कि ये अधिकारी खसरे में गलतियां कर किसानों को भ्रमित करते हैं और उन्हें अपनी जमीन सस्ते दामों पर बेचने को मजबूर कर देते हैं। पत्र में 9 पटवारियों के नाम शामिल किए गए थे, जिनमें बृजेश निगम, वीरेश सिंह, हेमंत सिंह, स्नेहलता सिंह, अनूप पांडेय, उमेश सिंह, अजय सिंह और श्रीकृष्ण गौतम शामिल थे। हालांकि यह पटवारी पूरे जिले में चर्चाओं का विषय बने रहते हैं, शहर में कहीं भी विवादित जमीनों का लेनदेन हो इनमें से किसी न किसी पटवारी का नाम चर्चाओं में जरूर आ जाता है, कई वर्षों से जमे इनमे से कई सरकारी सेवकों का ना तो ट्रांसफर होता और ना ही इन पर कोई जांच की जाती है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने लिया संज्ञान, आदेश जारी।
जनवरी 2025 में मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस पत्र को गंभीरता से लिया और मार्च के पहले सप्ताह में अवर सचिव स्तर से सतना कलेक्टर को निर्देश भेजे गए। इसमें इस मामले को उच्च प्राथमिकता देने और कार्रवाई करने के लिए कहा गया। इसके बाद, रघुराजनगर के एसडीएम ने आदेश क्रमांक 162 के तहत 9 पटवारियों के हल्के बदल दिए। अब जब पत्र के फर्जी होने का खुलासा हुआ है, तो तबादला प्रक्रिया और प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इस मामले में विशेष जांच की मांग उठ रही है।