सवाल ये है कि क्या कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफ़ादार विधायक भी बीजेपी के पाले में चले जाएंगे? अगर ऐसा होता है, तो इन कांग्रेसी विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों में कार्यरत बीजेपी के कार्यकर्ताओं का क्या होगा? ये कार्यकर्ता बरसों से कांग्रेस के इन्हीं नेताओं (जो अब बीजेपी में शामिल हो सकते हैं) को हराने के लिए कड़ी मेहनत करते रहे हैं. क्या इन कांग्रेसी नेताओं के बीजेपी में शामिल होने से बीजेपी में ख़ेमेबंदी और नहीं बढ़ेगी?
ज्योतिरादित्य सिंधिया के अपने लोकसभा क्षेत्र गुना को ही लीजिए. ज्योतिरादित्य, 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से हार गए थे. उन्हें बीजेपी के कृष्णपाल यादव ने हराया था, जो डॉक्टर हैं और एक वक़्त ज्योतिरादित्य सिंधिया के ही कारिंदे के तौर पर जाने जाते थे.
कई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जब बीजेपी ने गुना सीट से कृष्णपाल यादव को अपना उम्मीदवार बनाने का एलान किया था, तब ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया ने बीजेपी नेता कृष्णपाल यादव की अपने पति के साथ की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए उनका मज़ाक़ उड़ाया था. लिखा गया था कि कभी महाराज के साथ एक सेल्फ़ी के लिए क़तार में खड़ा होने वाला आदमी, अब उनके ख़िलाफ़ बीजेपी का उम्मीदवार है. कृष्णपाल यादव कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेहद क़रीबी हुआ करते थे और उनके चुनाव प्रचार की कमान संभाला करते थे. लेकिन, पिछले विधानसभा चुनाव के बाद हालात ज्योतिरादित्य सिंधिया के ख़िलाफ़ जाने लगे, जब कृष्णपाल यादव ने कांग्रेस छोड़ने का फ़ैसला किया.
कृष्णपाल ने कांग्रेस छोड़ने का एलान तब किया था, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया उनकी अनदेखी करने लगे थे. कृष्णपाल का कहना था कि पार्टी के नेतृत्व ने इस इलाक़े में उनकी कड़ी मेहनत की अनदेखी की है. कृष्णपाल के पिता भी कांग्रेस के ही कार्यकर्ता रहे थे. वो कांग्रेस की अशोक नगर ज़िला इकाई के प्रमुख रहे थे.
लेकिन, 2019 के लोकसभा चुनाव में कृष्णपाल यादव ने ज्योतिरादित्य को एक लाख 25 हज़ार से ज़्यादा वोटों के अंतर से हराया था. अब ज़ाहिर है कि सिंधिया के बीजेपी में आने से कृष्णपाल यादव तो ख़ुश नहीं ही होंगे.