मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पदभार ग्रहण करते ही सबसे पहले सुशासन पर जोर दिया। इसके लिए अनेक फैसले तत्काल लेकर अफसरों को चेतावनी दे दी कि न कोताही, न लापरवाही, न ही भ्रष्टाचार बर्दाश्त किया जाएगा। इसी के तहत भ्रष्टाचार में लिप्त रहे रिटायर्ड आईएएस अफसरों की लंबित विभागीय जांच समयसीमा में तत्काल हो रही है।
सामान्य प्रशासन विभाग ने चार वरिष्ठ आईएएस अफसर विनोद कुमार, डॉ. राजेश राजोरा, निकुंज श्रीवास्तव, उमेश पांडव की समिति बनाई और इन्होंने जांच करना आरंभ भी कर दिया है। यह समिति विभागीय जांच कर फैसला लेने के साथ भ्रष्ट अफसरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए सिफारिश करेगी।
मध्य प्रदेश में कई आईएएस अफसरों पर विभागीय जांच लंबित है। अधिकांश जांच भ्रष्टाचार में संलग्न होने की है। अनेक अफसर ऐसे हैं जिनके रिटायर्ड होने के बाद भी विभागीय जांच पूरी नहीं हो पाई। लंबित जांचों के चलते रिटायर्ड आईएएस अफसरों के स्वत्वों का भुगतान अटका है, वहीं अफसरों के दोषी पाए जाने की स्थिति में उनसे रिकवरी अटकी है।
सर्वविदित है कि आईएएस आफसरों के दबाव में संबंधित विभाग जांच संबंधी प्रपत्र बस्ते में बांध दिए जाते हैं। यही कारण है कि रिटायर्ड होने के बाद भी इन जांच प्रकरणों का निराकरण नहीं हो पाता।
सूत्रों के अनुसार चार वरिष्ठ आईएएस आफसरों ने लंबित जांच फाइलों को एकत्रित कर जांच प्रारंभ कर दी है। जल्द ही दोषी, भ्रष्टाचार में लिप्त आईएएस अफसरों पर कार्रवाई होगी