सतना: के चित्रकूट स्थित एक ऐसा गांव जहां आजादी के 73 सालों बाद भी विकास की एक किरण भी ग्रामीणों तक नहीं पहुंची थी, लगभग 40 परिवारों के इस गांव में ग्रामीणों ने लाइट तक नहीं देखी थी, शिक्षा से कोसों दूर इस गांव के लोग जंगल पर ही निर्भर होकर अपना जीवन-यापन करते चले आ रहे थे, रेवांचल रोशनी ने इस गांव के विकास को मुहिम के तौर पर लिया देशभर में खबरों का प्रकाशन प्रमुखता से करने के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने इस गांव के विकास के लिए सारे दरवाजे खोल दिए, जिसकी पहली कड़ी के तौर पर यहां बिजली पहुंची लोगों ने बल्ब जलाने से पहले पूजा की और बिजली आने का जश्न एक साथ मिलकर ग्रामीणों ने मनाया।
यह तस्वीरें चित्रकूट के बटोही गांव की है जहां आज पहली बार बिजली पहुंची, बिजली पहुंचने से ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा पहले पूजा पाठ की गई और फिर लाइट जलते ही पूरा गांव जयकारे से गूंज उठा और गांव के बच्चे भी भगवान करते दिखे, यह जश्न इसलिए मनाया गया क्योंकि इस आदिवासी गांव में आजादी की 73 सालों बाद ग्रामीणों ने लाइव देखी और लाइट आने का जश्न भंडारा करके मनाया गया।
दरअसल कुछ महीने पहले रेवांचल रोशनी की टीम इस गांव में पहुंची और देखा कि यहां के ग्रामीण जंगल पर निर्भर है पीढ़ी दर पीढ़ी लोग अशिक्षित है। लेकिन अपनी अगली पीढ़ी को शिक्षित करना चाहते थे लिहाजा कुछ समाजसेवियों ने यहां बच्चों को शिक्षित करने का काम शुरू किया इस गांव में ना तो लाइट थी ना तो सड़क थी ना ही पानी की कोई सुविधा चित्रकूट नगर पंचायत के वार्ड क्रमांक 13 में यह बटोही गांव आता है, बावजूद इसके विकास की बाट जोह रहा था। रेवांचल रोशनी ने प्रमुखता से इस गांव की खबर का प्रकाशन किया और मुहिम के तौर पर गांव के विकास को लिया नतीजतन मध्य प्रदेश सरकार ने यहां विकास के सारे दरवाजे खोल दिए जल्द ही यहां स्कूल भवन भी बनाया जाना तय हो गया है और विकास के पहली कड़ी के तौर पर यहां बिजली भी पहुंच चुकी है स्थानीय लोगों ने रेवांचल रोशनी को उनकी बात प्रदेश सरकार तक पहुंचाने के लिए धन्यवाद भी दिया।
इस आधुनिक युग में शिक्षा सड़क बिजली जैसी बात तो आम लगती है लेकिन बटोही गांव को देखकर लगा जैसे यह किसी ऐसे देश का हिस्सा है जहां लोकतंत्र ही नहीं लेकिन रेवांचल रोशनी की पहल के बाद प्रदेश सरकार की नजर इस गांव पर पड़ी और यह गांव अब आबाद होता दिख रहा यही वजह है कि इस गांव में बिजली शिक्षा जैसी चीज का आना यहां के ग्रामीणों को किसी बड़े सपने के साकार होने से कम नहीं लगता।