रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मामले का फैसला सुनाने वाली संवैधानिक बेंच में शामिल रहे पांच जज अब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के गवाह होंगे। रामजन्म भूमि मामले का फैसले देने वाली बेंच का नेतृत्व तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने किया था। इसके अलावा पूर्व सीजेआई एसए बोबड़े, मौजूदा सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर भी इस बेंच का हिस्सा थे।
बताया जाता है प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए देश भर के नामी 50 जजों एवं वकीलों को भी आमंत्रित किया गया है। बताया जाता है इनमें कई पूर्व चीफ जस्टिस और नामी वकील भी शामिल हैं। खासतौर पर 9 नवंबर, 2019 को रामजन्म भूमि मामले का फैसला सुनाने वाले जजों की मौजूदगी अहम होगी। अदालत ने विवादित भूमि का पूरा हिस्सा रामलला विराजमान को देने का फैसला दिया था। इसके अलावा मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही दूसरे स्थान पर पांच एकड़ जमीन मस्जिद बनाने के लिए मुहैया कराने का आदेश दिया था। हिंदू पक्ष का दावा था कि अयोध्या में जिस स्थान पर बाबरी ढांचा बना था, वहीं पर रामलला का जन्म हुआ था। पूर्व में वहां रहे प्राचीन राम मंदिर को तोडक़र बाबरी मस्जिद बनाई गई थी। ऐसे में उसी जगह पर राम मंदिर बनना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने हिंदुओं के पक्ष में अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। इसके बाद यह भव्य राम मंदिर बनाया गया है।