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मुर्शिदाबाद हिंसा: राष्ट्रपति शासन की मांग पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी…..


मुख्य बिंदु:

  • मुर्शिदाबाद में 11-12 अप्रैल को वक्फ कानून के विरोध में हिंसा, 3 लोगों की मौत।
  • सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन की याचिका पर आदेश देने से इनकार किया।
  • हाईकोर्ट और महिला आयोग की कार्रवाई जारी।

मुर्शिदाबाद में हिंसा की घटना

11-12 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ कानून के विरोध में हिंसा भड़क उठी। इस दौरान भीड़ ने कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। हिंसा में अब तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग प्रभावित हुए हैं।


सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति शासन लागू करने और पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती की मांग की थी।

सुनवाई में क्या हुआ:

  • जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने याचिका पर कोई आदेश नहीं दिया।
  • कोर्ट ने पूछा, “क्या आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को इसे लागू करने का आदेश दें?”
  • जस्टिस गवई ने कहा, “हम पर कार्यपालिका में दखल के आरोप लग रहे हैं।”

एक अन्य याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने सुनवाई की, जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा कि हिंसा के कारण लोग पलायन कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने पूछा कि यह जानकारी किस स्रोत से मिली? जवाब में वकील ने कहा – “मीडिया रिपोर्ट्स।”


हाईकोर्ट की टिप्पणी और सुझाव

कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती पर 17 अप्रैल को आदेश सुरक्षित रखा है। सुनवाई जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस राजा बसु चौधरी की बेंच कर रही है।

मुख्य बातें:

  • फिलहाल जिले में केंद्रीय बलों की 17 कंपनियां तैनात हैं।
  • हाईकोर्ट ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से एक-एक प्रतिनिधि हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करे।
  • विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने विस्थापित लोगों की वापसी के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की।

राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की कार्रवाई

NCW की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने रविवार को मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया।

आयोग की योजना:

  • दौरे की रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
  • रिपोर्ट केंद्र सरकार और राज्य के शीर्ष अधिकारियों को भेजी जाएगी।

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