उत्तर प्रदेश के जौनपुर से इंसानियत शर्मसार कर देने वाली तस्वीर सामने आई है. जहां पर एक बुजुर्ग अपनी पत्नी के शव को साइकिल पर लेकर घंटों अंतिम संस्कार के लिए भटकता रहा. लोगों में कोरोना का इतना खौफ बढ़ गया है कि गांव का कोई शख्स अर्थी को कंधा देने आगे नहीं आया. जिसकी वजह से बुजुर्ग को साइकिल पर शव रखकर इधर, उधर भटकना पड़ा.
कोरोना का खौफ लोगों में इतना बढ़ गया है कि मौत के बाद भी गांव का कोई भी व्यक्ति बुजुर्ग के घर उसका गम बांटने तक नहीं आया. इतना ही नहीं गांव के लोगों ने बुजुर्ग को पास के श्मशान घाट पर अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार तक नहीं करने तक नहीं दिया. यह घटना 27 अप्रैल की बताई जा रही है.
जौनपुर जिले के मड़ियाहूं कोतवाली क्षेत्र के अंबरपुर निवासी तिलकधारी सिंह की 50 वर्षीय पत्नी काफी दिनों से बीमार चल रही थी. सोमवार को अचानक उसकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई और उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. इलाज के दौरान राजकुमारी की जिला चिकित्सालय में ही उसकी मौत हो गई. स्वास्थ्य महकमा ने राजकुमारी का शव एंबुलेंस द्वारा घर भेज दिया. लेकिन गांव वाले कोरोना का हवाला देते हुए उसके घर नहीं पहुंचे.
शव की स्थिति खराब होती जा रही थी फिर पति ने अकेले ही पत्नी के शव को साइकिल पर रखकर गांव के नदी के किनारे दाह संस्कार करने के लिए चल पड़ा. अभी नदी के किनारे चिता की तैयारी शुरू नहीं की थी कि गांव के कुछ लोगों ने मौके पर पहुंचकर शव का अंतिम संस्कार रोक दिया. इस मामले की सूचना मिलते ही मड़ियाहूं कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और शव को वापस घर आई. कफन का इंतजाम किया गया और सम्मान के साथ जौनपुर स्थित रामघाट पर शव अंतिम संस्कार कराया.
वहीं, इस मामले मड़ियाहूं तहसील के डिप्टी एसपी संत प्रसाद उपाध्याय का कहना है कि अंबरपुर निवासी तिलकधारी सिंह की पत्नी की मौत हो गई थी. अस्पताल से एंबुलेंस डेड बॉडी को गांव छोड़ गई थी. गांव के लोगों ने वहां पर दाह संस्कार करने का विरोध किया. इस पर वह व्यक्ति शव को साइकिल पर लेकर अकेले ही नदी किनारे ले जाने लगा. जैसे ही पुलिस को इसकी सूचना हुई मौके पर कोतवाल मड़ियाहूं पहुंचे शव के लिए कफन और गाड़ी की व्यवस्था कराई और मृतक का सम्मान के अंतिम संस्कार कराया गया.