उत्तर प्रदेशदेश

आज भारत के प्राण की प्राण-प्रतिष्ठा का दिन। सदी के सबसे बड़े अनुष्ठान की साक्षी बनी समूची दुनिया। देश-दुनिया में मनाई जा रही दीपावली।

जल रहे दीप, मन रही दीपावली पीढ़ियों, पुरखों व देश का स्वप्न हुआ साकार

शब्द नहीं मिल रहे, क्या लिखें, कैसे लिखें?
क्या शब्दों में बांधा जा सकता है सदी का ये सबसे बड़ा, भव्य, दिव्य प्रसंग।

ये एक तरह से भारत के प्राण की प्राण-प्रतिष्ठा का पल, क्षण, दिन है। राम ही तो भारत के प्राण हैं, जन-जन के भगवान हैं। सब तरफ उनका ही गुणगान गूंज रहा है। सात समंदर पार तक रामजी की जय-जयकार हो रही है। न भूतो, न भविष्यवती पल। धन्य हैं हम सब जो इस अलौकिक पल के साक्षी बने हैं। कोई पूर्व जन्म के पुण्य ही होंगे जो हम रामजी के लौटने और पुनर्प्रतिष्ठित होने के पल के साक्षी बन रहे हैं। त्रेता जैसे अयोध्या धाम आ गए हैं राजा राम। रामधुन की अखंड झंकार का ऐसा त्योहार आज से पहले किसी ने नहीं देखा।

वो स्वप्न पूर्ण हुआ जो पीढ़ियों से देखा जा रहा था। वो आकांक्षा संपूर्ण हुई जो पुरखों ने मन में जगाई हुई थी। देश का वो सपना भी साकार हुआ, जिसमें अयोध्या नव्य, दिव्य और भव्य स्वरूप में अपने आराध्य का अभिनंदन कर रही है। स्वतंत्र भारत के लिए ये रामराज का आगमन है। 500 बरस के कलयुगी वनवास के बाद रामलला की जन्मभूमि अयोध्या में आज वो ही नजारा है, जो त्रेता युग में प्रभु रामचंद्रजी के लंका विजय के बाद लौटने पर था। समूचे राष्ट्र के लिए ये दिन, ये क्षण, ये पल फिर दोबारा नहीं आएगा। सदी के सबसे बड़े अनुष्ठान की साक्षी समूची दुनिया बन रही है। देश-दुनिया में दीपावली मन रही है।

अयोध्या से दिव्य क्षण।
मध्यप्रदेश सतना जिले के व्यंकटेश लोक में मनाई जा रही दीपावली,

युगों-युगों का इंतजार खत्म हुआ। 500 साल बाद शुभ घड़ी आई है। दुल्हन जैसे अवधपुरी सजी-संवरी हुई है। अपने अवध बिहारी के लिए समूचा अवध मनोहारी हो गया है। देश-विदेश के नामचीन दिग्गज अयोध्या पहुंच गए हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहनराव भागवत इसमें प्रमुख हैं। प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के यजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठीक 12 बजकर 29 मिनट पर अनुष्ठान प्रारंभ किया। मुख्य पूजा विधि महज 84 सेकंड की रही। 12: 29: 08 से शुरू होकर 12: 30: 32 पर पूर्ण हुई। 84 सेकंड का वो विशेष मुहूर्त है, जिसमें “रामलला विराजमान’ टेंट से निकलकर अपने निज भवन में उसी स्थान पर पुनः विराजमान हुए, जहां उनका प्राकट्य हुआ था। यानी उसी राम जन्मभूमि पर प्रभु विराजे, जिसके लिए 500 वर्ष सनातन ने संघर्ष किया। 500 साल की प्रतीक्षा के बाद सनातन की इच्छा पूर्ण हो गई है।

चित्रकूट सिद्धा पर्वत पर भगवान राम की प्रतिमा का किया गया लोकार्पण….

चित्रकूट सिद्धा पर्वत पर भगवान राम की प्रतिमा का किया गया लोकार्पण,

रेवांचलरोशनी परिवार इस शुभ, मंगल घड़ी में अपने प्रिय पाठकों, समस्त राम भक्तों, देशवासियों और समस्त सनातनियों को बहुत शुभकामनाएं देता है। राघवेंद्र सरकार राजा रामचंद्रजी से हम ये करबद्ध प्रार्थना भी करते हैं कि बस अब आपके आगमन के साथ देश का भाग्योदय भी हो। देश रामराज्य की संकल्पना को जिए। सभी देशवासियों में भातृत्व भाव जागे। सबको सुमति मिले। परस्पर बैर भाव समाप्त हो। सभी धर्मों में आपस में अटूट स्नेह उपजे। सभी धर्म के धर्मावलंबियों में भारत भक्ति का भाव प्रबल हो। इन्हीं शुभ-मंगलकामनाओं के साथ आप सभी को पुनश्चः “राम राज्य’ के आगमन और “रामोत्सव’ की बधाई। आप सब आज दीपावली मनाना न भूलें। रामजी जो आ गए हैं।
अमित मिश्रा, संपादक रेवांचलरोशनी…

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