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सरभंगा के जंगलों का निडर राजा “भीम” अपने ही पिता को मारकर बना था शेरों का सरताज…..

सतना जिले के चित्रकूट स्थित सरभंगा वन क्षेत्र से वन्यजीव प्रेमियों के लिए रोमांचक खबर सामने आई है। यहां लंबे समय से विचरण कर रहे बाघ “भीम” की हालिया तस्वीर ट्रैप कैमरे में कैद हुई है। जंगलों में रहने वाले कई ग्रामीणों का सामना भीम से हो चुका है, हालांकि लोग बताते हैं की इस शक्तिशाली बाघ ने आज तक किसी इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाया।

वन विभाग के अनुसार, भीम वही बाघ है जिसने महज तीन साल की उम्र में अपने ही पिता “बाबा” को मात देकर जंगल पर अपना राज कायम किया था। अब 8 साल की उम्र में, वह पूर्ण रूप से वयस्क बाघ बन चुका है और धारकुंडी से बरौधा तक के पूरे क्षेत्र पर उसका कब्जा है। अन्य बाघों की उपस्थिति इस इलाके में कम ही देखी जाती है।

वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, सरभंगा क्षेत्र दो दर्जन से अधिक बाघों का घर है और यह क्षेत्र उनके प्रजनन के लिए आदर्श माना जाता है। यह जंगल न केवल बाघों के लिए बल्कि अन्य वन्यजीवों के संरक्षण हेतु भी महत्वपूर्ण है।

सरभंगा को टाइगर रिजर्व बनाने की मांग.

वन्यजीव प्रेमी और पर्यावरणविद लगातार सरभंगा को टाइगर रिजर्व घोषित करने की मांग कर रहे हैं।

  • बाघों और अन्य वन्यजीवों को सुरक्षित आवास प्रदान करना।
  • स्थानीय पर्यटन और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना।
  • चित्रकूट और मध्य प्रदेश के लिए गौरव का प्रतीक बनाना।

34 बाघों का यह जंगल केवल वन्यजीव संरक्षण की सफलता नहीं, बल्कि चित्रकूट की धरोहर और गौरव का प्रतीक भी है। यह क्षेत्र न केवल प्राकृतिक संपदा से भरपूर है, बल्कि भविष्य में पर्यटन और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का एक बड़ा केंद्र भी बन सकता है।
सरभंगा को टाइगर रिजर्व घोषित करना इस क्षेत्र के विकास और संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। यह जंगल और यहां के बाघ, संरक्षण और पर्यटन की एक प्रेरणादायक कहानी बयां करते हैं।

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