सतगुरु साइ ईश्वर शाह साहिब जी के आगमन से अमरकंटक में आध्यात्मिक उत्सव, मां नर्मदा की महाआरती से गूंजा सनातन धर्म

अमरकंटक (विशेष संवाददाता):
मां नर्मदा के उद्गम स्थल, पावन अमरकंटक धरा पर हरे माधव पंथ के उन्नायक संत सतगुरु साइ ईश्वर शाह साहिब जी के आगमन से वातावरण पवित्रता और आस्था से भर गया। देशभर से पधारे भक्तों में उत्साह, उमंग और श्रद्धा की लहर दौड़ पड़ी।
संत श्री की उपस्थिति से संपूर्ण क्षेत्र में दिव्यता का संचार हुआ। हर दिशा में हरे माधव के जयकारे गूंजे और भक्तों की सेवा भावना ने वातावरण को और भी पावन बना दिया।
महाआरती से आध्यात्मिक वातावरण
सतगुरु जी के सान्निध्य में मां नर्मदा की महाआरती का आयोजन हुआ, जिसमें भारी संख्या में भक्तों ने भाग लिया। इस अवसर पर हरे माधव के पवित्र मंत्रोच्चार और सतगुरु जी के वचनों से वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह हुआ।
सत्संग में मिला भक्ति और मानवता का संदेश
चरण वंदना के पश्चात सतगुरु बाबा ईश्वर शाह साहिब जी द्वारा हरे माधव सत्संग का आयोजन किया गया, जिसमें उन्होंने तीर्थों के महत्व और परमात्मा भक्ति का सार समझाया। उन्होंने कहा, “परमात्मा के अमृत नाम की अंतरमुखी भक्ति ही सार भक्ति है, जो परम धाम में प्रवेश कराती है।”
तीर्थों की महिमा और सतगुरु की लीलाएं
संत जी ने अमरकंटक की भूमि पर हरे माधव सतगुरुओं की दिव्य लीलाओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पूरन साधुजन स्थावर तीर्थों पर आकर अनेक लीलाएं रचते हैं, जिनका गहन प्रताप होता है।
सेवा में लीन भक्तों को मिला रूहानी अनुभव
अमरकंटक में हर भक्त सेवा में जुटा था, और जो जहां सेवा कर रहा था, वहीं उसे सतगुरु जी का रूहानी दर्शन हो रहा था। संगतों ने बताया कि सतगुरु जी की दृष्टि मात्र से अंतर्मन में दिव्यता का अनुभव हुआ।
महाआरती में सतगुरु जी का विशेष सान्निध्य
सत्संग के बाद सतगुरु महाराज जी रामघाट दक्षिणतट पर पधारे, जहां मां नर्मदा की महाआरती का भव्य आयोजन किया गया। लाल चुनर ओढ़े सतगुरु जी जब आरती कर रहे थे, तो पूरा तट मानो दिव्यता से झिलमिला उठा।
नर्मदा आरती का अलौकिक अनुभव
संगतों के अनुसार, नर्मदा आरती का ऐसा दिव्य अनुभव अत्यंत दुर्लभ था। सतगुरु जी की उपस्थिति में आरती का प्रत्येक क्षण अलौकिक आनंद से परिपूर्ण रहा। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे देवी नर्मदा जी स्वयं भी इस दिव्य क्षण में हर्षित हो रही हों।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश
सतगुरु जी ने अपने परम वचनों में कहा, “यह सारी पावन नदियां हरे माधव प्रभु की परम धरोहर हैं, इन्हें संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है।”
भक्ति से जुड़ाव और मानवता की जागरूकता
संत जी ने अपने प्रवचनों के माध्यम से भक्तों को न केवल भक्ति की ओर उन्मुख किया, बल्कि मानवता, सेवा और प्रेम के मार्ग पर चलने का संदेश भी दिया।