बारिश में भी डटे रहे किसान: हवाई पट्टी से उठी गूंज, ट्रैक्टर रैली में दिखाया दमखम…..
अमित मिश्रा/सतना।

सतना। जिले में खाद और बिजली की किल्लत से त्रस्त किसानों का आक्रोश सोमवार को सड़कों पर फूट पड़ा। भारतीय किसान संघ के बैनर तले सैकड़ों किसानों ने पहले सभा की और फिर ट्रैक्टर रैली निकालकर अपनी मांगों के समर्थन में जोरदार प्रदर्शन किया।

खास बात यह रही कि सभा के दौरान तेज बारिश शुरू हो गई, लेकिन किसान टस से मस नहीं हुए। भीगते हुए भी वे डटे रहे और बारिश के बीच नेताओं ने सभा को संबोधित किया। व्यंकट-2 स्कूल ग्राउंड में आयोजित इस सभा का नेतृत्व संगठन मंत्री तुलाराम और जिलाध्यक्ष योगेश तिवारी ने किया। इसके बाद एसडीएम राहुल सिलाड़िया को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम 11 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा गया।

बारिश में भी डटे रहे किसान
दोपहर 12 बजे से ही किसानों का समूह हवाई पट्टी के पास एकत्रित होना शुरू हो गया। बढ़ती भीड़ ने प्रशासन को भी सतर्क कर दिया। किसानों ने साफ कहा कि खेतों में फसलें पकने की अवस्था में हैं, लेकिन बिजली की कम वोल्टेज और जले ट्रांसफार्मरों से सिंचाई प्रभावित है। वहीं, उर्वरक की अनुपलब्धता खरीफ की फसलों को खतरे में डाल रही है। इसी दौरान अचानक तेज बारिश शुरू हो गई, जो करीब डेढ़ घंटे तक रुक-रुककर चलती रही। लेकिन न बारिश ने किसानों का हौसला तोड़ा और न ही मैदान खाली हुआ। नेताओं ने बारिश में ही भाषण देते हुए कहा कि हालात आंदोलन की ओर बढ़ रहे हैं और अब किसान अपनी मांगों को लेकर पीछे हटने वाले नहीं।

ट्रैक्टर रैली से दिखाया दमखम
सभा के बाद किसानों का हुजूम 50 से अधिक ट्रैक्टरों के काफिले में निकला। रैली हवाई पट्टी से शुरू होकर सर्किट हाउस होते हुए व्यंकट-2 स्कूल ग्राउंड तक पहुंची। रास्तेभर किसान नारों और तख्तियों के जरिए अपनी आवाज बुलंद करते रहे। मैहर, अमरपाटन, रामनगर, बिरसिंहपुर, कोठी, मझगवां, नागौद, उचेहरा, रामपुर बाघेलान, जैतवारा और चित्रकूट तक के किसान इस रैली में शामिल हुए। जहां-जहां से रैली गुजरी, वहां लोगों की भीड़ सड़क किनारे खड़ी होकर किसानों की ताकत देखती रही।

नारों और तख्तियों से झलका आक्रोश
किसानों का गुस्सा सिर्फ भाषणों में नहीं, बल्कि नारों और तख्तियों में भी साफ झलक रहा था। “अच्छी बिजली, खाद और पानी मांग रही है आज किसानी” तथा “जब तक दुखी किसान रहेगा, तब तक धरती पर तूफान रहेगा” जैसे नारे सड़कों पर गूंजते रहे। चेहरों पर संकल्प और आंखों में आक्रोश लिए किसान बार-बार यही संदेश देते रहे कि अब उनकी आवाज को अनसुना नहीं किया जा सकता। उनका कहना था कि समस्याओं का समाधान हुए बिना यह संघर्ष थमने वाला नहीं है।

