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बस डिपो के प्लाट का नामांतरण अटका, नक्शे में होगा सुधार……

सतना। सरकारी खजाने को 7 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने वाले लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा बस डिपो की जमीन को प्लाट में बदलने का मामला अब आसपास के रहवासियों के लिए भी परेशानी का कारण बन रहा है। गाइडलाइन से कम दर पर जमीन खरीदने वाले समदड़िया बिल्डर्स को अब नामांतरण की प्रक्रिया में बाधा का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या को हल करने के लिए जिला प्रशासन ने सिंधी कैंप और चाणक्यपुरी कॉलोनी के नक्शे में सुधार करने का निर्णय लिया है। यह फैसला बुधवार को समदड़िया के प्रतिनिधि मंडल के साथ हुई बैठक के बाद लिया गया।

बस डिपो के हिस्से को खरीदने के बाद समदड़िया बिल्डर्स का प्लाट नामांतरण के लिए अटका हुआ है। बुधवार को कलेक्टर से मुलाकात के दौरान समदड़िया के प्रतिनिधियों ने इस मामले को उठाया। चर्चा के बाद तय किया गया कि यदि नक्शे का मिलान नहीं हो रहा है, तो इसे सुधारा जाएगा। हालांकि, यह सवाल उठ रहा है कि यदि नक्शा गलत था, तो अब तक राजस्व विभाग और अन्य अधिकारी क्या कर रहे थे?

नक्शे में सुधार के लिए सिंधी कैंप और चाणक्यपुरी कॉलोनी के कई भूखंडों के नंबरों को संशोधित किया जाएगा। इस प्रक्रिया में संबंधित भू-स्वामियों की राय भी ली जाएगी। हालांकि, यह गलती लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग और समदड़िया बिल्डर्स की थी, लेकिन अब जिला प्रशासन को इसे सुधारने के लिए बड़े स्तर पर कार्रवाई करनी पड़ रही है।

न्यायालयीन कार्यवाही के बाद समदड़िया बिल्डर्स ने जल्दबाजी में जमीन की रजिस्ट्री करवाई, लेकिन राजस्व अधिकारियों से सही जानकारी नहीं ली। नतीजतन, जिन प्लॉट नंबरों की रजिस्ट्री हुई, वे आपस में मेल नहीं खा रहे हैं और काफी दूर-दूर स्थित हैं। अब इन्हें समायोजित करने के लिए सिंधी कैंप और चाणक्यपुरी कॉलोनी के नक्शों में बदलाव किया जाएगा।

पूरे प्रकरण में सवाल उठता है कि जब लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग ने यह प्रोजेक्ट तैयार किया था, तब राजस्व अधिकारियों ने सही मिलान क्यों नहीं किया? अब जब गलती सामने आई, तो नक्शा गलत बता दिया गया। प्रशासन की यह चूक न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी असमंजस की स्थिति पैदा कर रही है।

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