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कर्ज में डूबी सरकार, क्या दे पाएगी कर्मचारियों को केंद्र बराबर DA? मध्य प्रदेश पर कर्ज का बोझ 4.30 लाख करोड़ के पार, बजट से भी ज्यादा



मध्य प्रदेश सरकार की आर्थिक हालत लगातार सवालों के घेरे में है। प्रदेश पर कुल कर्ज अब 4.30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है, जो कि राज्य के हाल ही में पेश किए गए 4.2 लाख करोड़ रुपये के बजट से भी अधिक है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है – क्या कर्ज में डूबी सरकार अपने कर्मचारियों को केंद्र सरकार के बराबर महंगाई भत्ता (DA) देने की स्थिति में है?


एक साल में 55 हजार करोड़ से ज्यादा का नया कर्ज

जनवरी 2024 से जनवरी 2025 के बीच मोहन सरकार ने 55 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज लिया है। पहले से ही सरकार पर 3.7 लाख करोड़ का कर्ज था, जो अब बढ़कर 4.30 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कि यह कर्ज विकास कार्यों के लिए जरूरी है और चिंता की कोई बात नहीं।


कर्मचारियों को DA: बढ़ेगा वित्तीय बोझ

प्रदेश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए कर्मचारियों को केंद्र के समान DA देना सरकार के लिए बड़ा वित्तीय बोझ बन सकता है। वित्तीय वर्ष में सरकार 64 हजार करोड़ रुपये तक का कर्ज ले सकती है, लेकिन अब तक 61,400 करोड़ का कर्ज लिया जा चुका है। ऐसे में कर्ज की सीमा लगभग पूरी हो चुकी है।


देश के कुल कर्ज का 5% सिर्फ मध्य प्रदेश पर

भारत पर कुल 93.93 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, जिसमें अकेले मध्य प्रदेश का हिस्सा 5% है। इस आंकड़े के साथ मध्य प्रदेश देश में सबसे ज्यादा कर्जदार राज्यों में 9वें नंबर पर आता है।


हर नागरिक पर 50-60 हजार रुपये का कर्ज

विपक्ष भी सरकार की आर्थिक नीतियों पर हमलावर है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा, “ये बजट कर्ज का बजट है। हर नागरिक पर 50 से 60 हजार रुपये का कर्ज हो गया है।” उन्होंने विधानसभा में ‘कर्ज की पोटली’ लेकर प्रदर्शन किया और सरकार पर झूठे वादों का आरोप लगाया।


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