सतना स्मार्ट सिटी या स्मार्ट फजीहत? कुछ घंटे की बारिश ने खोल दी विकास की पोल….

पहली बारिश ने बढ़ाई टेंशन, जनता पूछ रही सवाल: आखिर जिम्मेदार कौन?
अमित मिश्रा/सतना।
सतना में पहली ही बारिश ने शहर की पोल खोल दी है। जलभराव, गड्ढों और सीवर ओवरफ्लो की वजह से आमजन की जिंदगी ठप हो गई है। महिलाओं और बच्चों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। ऐसे में जनता सवाल पूछ रही है, अगर हल्की बारिश में ये हाल है, तो मूसलाधार बारिश में क्या होगा?स्मार्ट सिटी के नाम पर वर्षों से चल रहे काम ने सतना को बेहतर बनाने की बजाय और बेहाल कर दिया है। सीवर लाइन का काम अधूरा है, सड़कें खोदी गईं लेकिन नहीं सुधरीं। जनता अब उन जनप्रतिनिधियों से जवाब मांग रही है, जिन्हें विकास और सुविधाओं के लिए चुना गया था। अफसोस, कोई भी जिम्मेदार इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान नहीं दे रहा। शहर छोड़ने की बातें अब लोगों की जुबान पर हैं, सवाल बड़ा है, जवाब देने वाला कोई नहीं।

प्रधानमंत्री की स्मार्ट सिटी योजना में शामिल सतना शहर की हकीकत कुछ घंटों की बारिश ने उजागर कर दी। आज शनिवार की दोपहर हुई मामूली बारिश ने पूरे शहर की पोल खोल दी, नालियां चोक, सड़कें जलमग्न और गड्ढे उफनते तालाब में तब्दील हो गए।
टिकुरिया टोला से लेकर गौशाला चौक तक हालात इतने खराब हैं कि लोगों के घरों में पानी घुस गया।
बजरहा टोला रोड पर सड़कें नहीं, बल्कि मौत के गड्ढे नजर आ रहे हैं। यहां हर दिन कोई न कोई हादसे का शिकार हो रहा है।
जिला अस्पताल परिसर भी पानी-पानी हो गया, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी। स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों खर्च हो चुके हैं, मगर नतीजा शून्य है।
लोग अब सवाल पूछ रहे हैं कि जब चंद घंटे की बारिश में शहर थम जाए, तो भला ये कैसा स्मार्ट सिटी मॉडल है? सतना की जनता आज खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है। अगर यही स्मार्ट सिटी है, तो फिर बदइंतजामी और उपेक्षा का दूसरा नाम ही स्मार्टनेस हो गया है।