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मिलर्स-वेयरहाउस मालिकों के इशारों पर नाच रहे नान के अधिकारी….

पीडीएस के चावल में खेल, जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी ने बढ़ाई संदेह की सुई…. https://rewanchalroshni.com/पीडीएस-के-चावल-में-खेल-जिम/

चुनिंदा मीलर्स को फायदा, बाकी को सिस्टम से बाहर करने की साजिश…..

सतना। जिले में नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के अंतर्गत संचालित धान मीलिंग प्रक्रिया अब संदेह के घेरे में है। नान के जिला प्रबंधक पंकज बोरसे की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। उन्हें कुछ चुनिंदा राइस मिलर्स और वेयरहाउस गोदाम मालिकों के इशारों पर काम करते देखा जा रहा है, जिससे पूरे सिस्टम की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर खतरा मंडराने लगा है। जिले में मीलिंग के नाम पर चुनिंदा मिलर्स को ही प्राथमिकता दी जा रही है, जबकि अन्य योग्य और मान्यता प्राप्त मिलर्स को धान आवंटन से जानबूझकर वंचित किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि कई वेयरहाउस संचालकों की खुद की राइस मिलें हैं, जो सरकारी गोदामों से सीधे धान उठाकर अपनी ही मिल में प्रोसेसिंग करवा रहे हैं। इसके लिए वे अन्य मिलर्स को धान आवंटित नहीं होने दे रहे हैं। यह पूरा खेल नान के कुछ अफसरों और मिलर्स के बीच सांठगांठ से चल रहा है।

खराब चावल खपाने का खेल —-
इतना ही नहीं घटिया गुणवत्ता का चावल भी जानबूझकर जमा कराया जा रहा है, जिससे शासकीय योजनाओं में वितरित होने वाला चावल उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है। मामले की गंभीरता यह है कि यह धान सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों को मिलने वाले राशन का हिस्सा बनता है।

जांच की दरकार ——
ऐसे में यदि गड़बड़ियों की उच्च स्तरीय जांच न हुई, तो यह भ्रष्टाचार जिले की खाद्यान्न सुरक्षा को सीधे प्रभावित कर सकता है। अब आवश्यकता है कि संभागीय व राज्य स्तर के वरिष्ठ अधिकारी पूरे मीलिंग नेटवर्क की बारीकी से जांच करें, ताकि दोषियों की पहचान हो सके और उचित कार्रवाई की जा सके। यदि समय रहते यह खेल नहीं रोका गया, तो आने वाले दिनों में जिले की खाद्यान्न आपूर्ति व्यवस्था पूरी तरह अव्यवस्थित हो सकती है।

विद्याश्री राइस मिल संचालक को अभयदान —-
मूकमाटी वेयरहाउस से दरवास के लिए रवाना दो ट्रक चावल विद्याश्री राइस मिल परिसर में अनलोड हो गए। इस संदिग्ध गतिविधि में नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के अधिकारियों, विद्याश्री राइस मिल और वेयरहाउस संचालक सौरव जैन की मिलीभगत सामने आई है। यह सारा खेल तय योजना के तहत हुआ, जिसमें नान के जिम्मेदार अधिकारी मौन साधे बैठे हैं। स्पष्ट गड़बड़ी के बावजूद अब तक किसी पर कार्रवाई नहीं हुई, जिससे संचालकों को अभयदान मिलता प्रतीत हो रहा है। इस चुप्पी से विभागीय कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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