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सतना में प्रदूषण विभाग की पोल खोलती तस्वीरें: कागजों में हरियाली, हकीकत में सूखे पेड़ और प्रदूषण का अंबार…

अमित मिश्रा, सतना।

सतना जिले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। जिले भर में उद्योग, क्रेशर और अन्य प्रदूषण फैलाने वाले संस्थान खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, लेकिन विभाग के अधिकारी इन सब पर आंख मूंदे बैठे हैं। पर्यावरण दिवस जैसे अवसर पर भी यह विभाग खानापूर्ति कर रहा है। दिखावे के लिए कार्यक्रम, फोटो सेशन और बजट का बंदरबांट, यही इस विभाग का असली चेहरा बनकर उभरा है।

प्रदूषण विभाग के जिम्मेदार अधिकारी औद्योगिक संस्थानों को वृक्षारोपण करने की सलाह तो दे देते हैं, लेकिन खुद अपने कार्यालय के सामने लगे गमलों में लगे पौधों की देखरेख नहीं कर पा रहे। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यालय गेट के सामने सूखे पेड़ गवाही दे रहे हैं कि अधिकारी सिर्फ भाषणों और दिखावे तक सीमित हैं। इन सूखे पेड़ों के सामने ही पर्यावरण दिवस के फोटो खिंचवाए गए। हर साल की तरह इस बार भी विभाग ने कागजों में पर्यावरण दिवस मना लिया, लेकिन धरातल पर कोई बदलाव नहीं दिखा।

सतना जिले में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हद तक पहुंच चुका है। दर्जनों क्रेशर नियमों का पालन नहीं कर रहे। इन क्रेशरों के आसपास न तो पर्याप्त हरियाली है, न ही पर्यावरण सेफ्टी के मानक अपनाए जा रहे हैं। नियमों के मुताबिक क्रेशर मुख्य मार्ग से निश्चित दूरी पर होने चाहिए, लेकिन जिले में कई क्रेशर सड़कों के किनारे धड़ल्ले से चल रहे हैं। धूल और ध्वनि प्रदूषण से ग्रामीण और राहगीर परेशान हैं।

सिर्फ क्रेशर ही नहीं, सतना के बड़े सीमेंट उद्योग और अन्य फैक्ट्रियां भी वायु और जल प्रदूषण फैला रही हैं। परंतु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सिर्फ कागजों पर नोटिस जारी करने तक सीमित रह गया है। सूत्रों की मानें तो हर क्रेशर और बड़े उद्योगों का “महीना फिक्स” है, जिससे अधिकारी आंख मूंदे रहते हैं। कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर दी जाती है, लेकिन न तो प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों की जांच होती है और न ही इनके उत्सर्जन पर कोई ठोस कार्रवाई की जाती है।

जिले के लोग लंबे समय से इस लापरवाही से परेशान हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जिम्मेदारी सिर्फ कार्यक्रम आयोजित करना और फोटो खिंचवाना नहीं है, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कार्रवाई करना भी है। यदि समय रहते प्रदूषण पर लगाम नहीं लगाई गई तो सतना के पर्यावरण और लोगों का स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होगा।

प्रदूषण विभाग को चाहिए कि वह दिखावे के बजाय ठोस कदम उठाए। सूखे पेड़ों के सामने भाषण देने के बजाय असल हरियाली लाए। जिले के उद्योगों और क्रेशरों पर पारदर्शी तरीके से कार्रवाई करे, ताकि सतना की हवा और पानी सुरक्षित रह सके। वरना एक दिन यह उपेक्षा न सिर्फ पर्यावरण को बल्कि हजारों लोगों की सेहत को भारी नुकसान पहुंचाएगी।

प्रदूषण विभाग कार्यालय में गमले में लगे पेड़ों के हालात 👇

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