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मझगवां रेंज में वाटर शेड की बाउन्ड्री के पत्थर से करा डाली तालाब की पीचिंग……

अमित मिश्रा /सतना.

बाघों के नाम पर बड़ा खेल: पुरानी संरचना तोड़कर बनाए तालाब में लाखों की बंदरबांट

इन बाउंड्री के पत्थरो को हटाकर कराई गई तालाब की पिचिंग👇

बाउंड्री के पत्थर जिससे कराई गई तालाब की पिचिंग.👇

सतना। एक ओर सरकार वन्यजीव संरक्षण को लेकर करोड़ों की योजनाएं चला रही है, वहीं जमीनी अमला इन्हीं योजनाओं को भ्रष्टाचार का जरिया बना रहा है। मझगवां रेंज के पिपरीटोला बीट अंतर्गत धउहा के जंगल में बाघों के लिए पानी की उपलब्धता के नाम पर बनाया गया तालाब अब सवालों के घेरे में आ गया है।
22 लाख रुपये की लागत से बना यह तालाब न केवल वन्यजीवों की आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल साबित हो रहा है, बल्कि इसके निर्माण की पृष्ठभूमि में भी गंभीर अनियमितताएं सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि जिस पत्थर से तालाब की पिचिंग कराई गई है, वह वास्तव में वाटरशेड परियोजना के तहत पहले से बनाई गई एक पुरानी बाड़ से निकाला गया है।

पुरानी संरचना की बलि, नई योजनाओं की चमक..
वर्षों पहले वाटरशेड के माध्यम से बनाई गई पत्थर की बाड़ पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने के लिए बनाई गई थी, लेकिन वन विभाग ने इस संरचना को तोड़कर वही पत्थर तालाब में उपयोग कर डाले। नतीजा एक तरफ पर्यावरणीय क्षति और दूसरी तरफ निर्माण सामग्री पर दोबारा भुगतान दिखाकर सरकारी धन का दुरुपयोग।
एक ओर देशभर में वन्यजीवों की संख्या बढ़ाने और उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करने के लिए सरकार गंभीरता से कार्य कर रही है, वहीं दूसरी ओर निचले स्तर पर ऐसी योजनाएं सिर्फ खानापूर्ति और फाइलों में टिक मार्क बनकर रह गई हैं।

अगर हो जांच तो सब हो जाएगा साफ….
इस पूरे प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। यदि वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी निष्पक्षता से जांच कराकर इस मामले की तह तक जाए तो चौकाने वाला खुलासा होगा।

इस बाउंड्री को हटाया गया व इसके पत्थर तालाब मे लगाए गए.👇

पंकज दुबे तत्कालीन रेंजर…..

वही वर्तमान रेंजर रंजन सिंह परिहार ने खुद को इस निर्माण कार्य की जानकारी से खुद को अनजान बताया, व कहा की यह कार्य मेरे कार्यकाल के पहले किया गया है……

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