श्वेता बासु प्रसाद की हाल ही में सीरीज क्रिमिनल जस्टिस-3 रिलीज हुई है। इसमें उन्होंने पहली बार लॉयर की भूमिका निभाई है। अपने इस रोल के बारे में श्वेता ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। पढ़िए बातचीत का प्रमुख अंश
क्रिमिनल जस्टिस-3 देखने के लिए मैं खुद एक्साइटेड थी
सीरीज में मेरा लेखा का किरदार पंकज त्रिपाठी के कैरेक्टर माधव मिश्रा को टक्कर देता है। आदित्य गुप्ता द्वारा निभाए जाने वाले किरदार मुकुल को लेकर दोनों की कहानी लास्ट तक जाती है, इसे देखने में लोगों को जितना मजा आया, उतना मजा इसे करते हुए मुझे भी आ रहा था। मैं मानती हूं कि पहले दर्शक और बाद में अभिनेत्री हूं। मैं स्वयं इस सीरीज को करते समय देखने के लिए एक्साइटेड थी, क्योंकि स्क्रिप्ट पढ़ते समय बहुत मजेदार लगी थी। सच कहूं तो इसी स्क्रिप्ट एक बार में ही पढ़ा था और यह भाव तब आता है, जब कहानी काफी दिलचस्प हो। कहानी और मेरा किरदार, दोनों बहुत दिलचस्प है। इसमें ग्रे लाइन का एक नया पहलू देखने को और साथ में काफी कुछ जानने को भी मिला। इसमें इंफॉर्मेशन और मनोरंजन, दोनों है। शायद यही वजह है, जो दर्शकों को मजा आ रहा है।
ऑडियंस और को-स्टार, दोनों लिहाज से पंकज की फैन रही हूं
पंकज जी मुझसे बहुत सीनियर हैं। मैं तो अभी भी सीख रही हूं। उनके साथ सीरीज में दोबारा काम किया। इससे पहले ताशकंद फाइल्स फिल्म की थी। बतौर ऑडियंस और को-स्टार, दोनों लिहाज से पकंज की बहुत बड़ी फैन रही हूं। इंडस्ट्री में ऐसे बहुत कम एक्टर हैं, जो इतने सुलझे, सिंपल होते हैं। ज्यादातर एक्टर सेट पर आते ही सारा अटेंशन अपनी तरफ कर लेते हैं। वहीं पंकज जी कब सेट पर आए और कब चले गए, पता नहीं चलता। सेम टाइम वे उतने ही पावरफुल अभिनेता हैं। उन्हें एक बार कुछ करते देख लिया तो उतने में ही चार-पांच चीजें सीख जाते हैं।
किसी कैरेक्टर को निभाने से पहले उसकी बैक स्टोरी लिखती हूं
पहली बार मैंने क्रिमिनल जस्टिस-3 में लॉयर की भूमिका निभाई है। सच कहूं कि इसके लिए रियल लाइफ में किसी लॉयर से नहीं मिली और न ही किसी केस की स्टडी की। मेरे लिए किरदार को बनाना ज्यादा इंपॉर्टेंट है। फिर तो वह लॉयर, जर्नलिस्ट, हाउस वाइफ कुछ भी हो सकती है। वह तो उसका काम है, पर रोल और कैरेक्टर अलग होते हैं। मैं कैरेक्टर को निभाने से पहले उसकी बैक स्टोरी लिखती हूं। उसकी पैदाइश कहां हुई, कहां पढ़ी-लिखी और किस माहौल में बड़ी हुई है।
अपने सीन को 100 से 150 बार पढ़ा
मुझे जब क्रिमिनल जस्टिस-3 की स्क्रिप्ट मिली, उसके बाद मेरे पास सिर्फ 20 से 25 दिन थे। आई थिंक, दिसंबर के आसपास मुझे स्क्रिप्ट मिली थी और जनवरी में शूट कर रहे थे। इसके डायलॉग काफी टेक्निकल थे। उस पर काफी ध्यान देना था। खैर, इस 20-25 दिन मैं रोजाना शाम 6 बजे से 8 बजे तक अपने सारे सीन सिर्फ पढ़ती थी। उसे याद नहीं करती थी। जब तक सेट पर नहीं गई, तब तक मैंने कुछ 100 से 150 बार अपने सीन पढ़ लिया था।