संभाग में 46 हजार बच्चे कुपोषण की चपेट में, बजट करोड़ों का, असर नगण्य…..
अमित मिश्रा/सतना।

सीधी सबसे चिंताजनक स्थिति में, अन्य जिलों में भी स्थिति चिंताजनक
सतना. मध्यप्रदेश का रीवा संभाग कुपोषण की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग की हालिया संभागीय रिपोर्ट ने सरकारी प्रयासों की सच्चाई उजागर कर दी है। रिपोर्ट के अनुसार संभाग के कुल 5.35 लाख बच्चों में से 46 हजार बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं। इनमें हजारों मासूम अति कुपोषित होकर जीवन से संघर्ष कर रहे हैं। कुपोषण उन्मूलन को प्राथमिकता में रखने का दावा करने वाला विभाग जमीनी हकीकत में बुरी तरह नाकाम होता दिख रहा है। बच्चों की ये स्थिति विभाग की योजनाओं और उनके क्रियान्वयन पर सवाल खड़े कर रही है।
महिला एवं बाल विकास विभाग पोषण आहार, आंगनबाड़ी संचालन और जन-जागरूकता पर हर साल करोड़ों खर्च करता है, लेकिन परिणाम लगभग शून्य हैं। रिपोर्ट बताती है, विभाग की योजनाएं कागजों में चल रही हैं, जबकि गांव-गांव और बस्तियों में बच्चे अब भी पोषण की कमी से पीड़ित हैं। असल समस्या योजनाओं के क्रियान्वयन की विफलता है। जब तक जमीनी स्तर पर निगरानी और जवाबदेही तय नहीं की जाएगी, तब तक लाखों बच्चे इसी तरह कुपोषण की चपेट में आते रहेंगे।
संभाग के चारों जिलों रीवा, सतना, सीधी और सिंगरौली में कुपोषण की स्थिति चिंताजनक है। इनमें से सबसे गंभीर स्थिति सीधी जिले की है, जहां 10,866 बच्चे कुपोषित मिले हैं। इनमें 2488 बच्चे अति कुपोषित (सैम) और 8378 सामान्य कुपोषित (मैम) की श्रेणी में हैं। यह आंकड़ा न केवल जिले के लिए, बल्कि पूरे संभाग के लिए चिंता का विषय है।
रिपोर्ट के मुताबिक, रीवा में 8683 कुपोषित बच्चों में 1643 सैम और 7040 बच्चे मैम श्रेण में है। जबकि सतना में 9041 कुपोषित मासूमों में 1608 सैम, 7433 मैम में चिन्हित किए गए हैं। सिंगरौली में 7815 बच्चे कुपोषित दर्ज हैं, जिसमें 1766 सैम और 6049 मैम श्रेणी में हैं। संभाग में अपेक्षाकृत कम कुपोषण का प्रकोप मैहर और मऊगंज क्षेत्रों में दर्ज किया गया है, दोनों जगह 4815-4815 बच्चे कुपोषण से प्रभावित मिले हैं। यहां सैम 909 और मैम 3906 के आंकड़े भी बराबर दर्ज हैं।