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सड़क पर सख्ती, सवालों पर खामोशी? सतना में मंत्री की कार्रवाई पर तारीफ भी, तंज भी……

सतना जिले में राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी द्वारा हाल ही में की गई सड़क जांच इन दिनों चर्चा के केंद्र में है, कोठी तहसील के अंतर्गत पोड़ी-मनकहरी मार्ग पर पीडब्ल्यूडी द्वारा कराए गए कार्य में गुणवत्ता की कमी पाए जाने के बाद मंत्री ने मौके पर पहुंचकर न सिर्फ पूरी सड़क का निरीक्षण किया, बल्कि इंजीनियरों को कड़ी फटकार लगाई और संबंधित ठेकेदार का टेंडर निरस्त करने के निर्देश भी दिए,

इस कार्रवाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और जिले से लेकर बाहर तक मंत्री की सख्त कार्यशैली की जमकर सराहना हुई…

लेकिन जैसे ही तारीफों का शोर थमा, वैसे ही सवालों की आवाज तेज होने लगी, जिले की जनता यह पूछने लगी कि जिस तरह की सख्ती मंत्री ने पीडब्ल्यूडी के एक मार्ग पर दिखाई, क्या वही नजर और वही रफ्तार सतना शहर की बाकी सड़कों पर भी नहीं डाली जा सकती थी?

खासकर तब, जब मंत्री स्वयं नगरीय प्रशासन जैसे अहम विभाग की जिम्मेदारी संभाल रही हैं,

सतना शहर की हकीकत किसी से छिपी नहीं है, पूरी बरसात शहर गड्ढों में तब्दील सड़कों से जूझता रहा, कई इलाकों में हालात ऐसे बने कि लोग बेहद जरूरी काम होने पर ही घर से निकलने का जोखिम उठाते थे, शहर में जगह-जगह खुदी सड़कें, अधूरे निर्माण और बार-बार उखड़ता डामर आम दृश्य बन चुके हैं,

नागरिकों का कहना है कि अधिकांश नए निर्माण कार्य गुणवत्ताविहीन साबित हो रहे हैं, चार-पांच दिन पहले बनी सड़क से आज धूल उड़ने लगती है, डामर और गिट्टी अलग हो जाती है, सीमेंट की परतें टूट जाती हैं,

बीते दिनों प्रभात विहार में पन्ना नाका से अंदर जाने वाली सड़क का उदाहरण सामने है, डामरीकरण के महज चार दिन के भीतर सड़क की हालत खराब हो गई, डामर उखड़ गया और गिट्टी बाहर आ गई, यह वही इलाका है, जहां से जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी रोजाना गुजरते हैं, इसके बावजूद न तो कोई निरीक्षण हुआ, न कोई फटकार, न कोई टेंडर निरस्त…

यहीं से व्यंग्यात्मक सवाल खड़े हो रहे हैं.. क्या मंत्री की नजर केवल रैगांव या पोड़ी क्षेत्र की कुछ चुनिंदा सड़कों तक ही सीमित है?

क्या शहर से दूर बनी सड़क की गुणवत्ता ज्यादा अहम है, जबकि उसी शहर में, जहां मंत्री स्वयं रहती हैं, चारों तरफ सड़क निर्माण में अनियमितताओं के आरोप लग रहे हैं?

लोग यह भी कह रहे हैं कि मंत्री के पास अधिकार हैं, वे चाहें तो अपनी टीम लगाकर पूरे शहर और जिले की सड़कों की जांच करा सकती हैं, दोषी ठेकेदारों और अधिकारियों पर उसी तरह कार्रवाई कर सकती हैं, जैसी पीडब्ल्यूडी मामले में हुई, लेकिन अब तक ऐसा व्यापक अभियान नजर नहीं आया….

सवाल सिर्फ सड़कों तक सीमित नहीं हैं, सतना जिला अस्पताल इन दिनों प्रदेश से लेकर देश तक चर्चाओं में है, मासूम बच्चों को गलत ब्लड चढ़ाने, कथित तौर पर कोविड पॉजिटिव ब्लड दिए जाने और खून की दलाली जैसे गंभीर आरोप सामने आए हैं, इन मामलों में केंद्र और प्रदेश स्तर की जांच टीमें सक्रिय हैं, विपक्ष भी लगातार सवाल उठा रहा है, बावजूद इसके, मंत्री प्रतिमा बागरी की ओर से अब तक कोई बड़ा, सख्त या निर्णायक बयान सामने नहीं आया, न ही वैसी त्वरित कार्रवाई की घोषणा हुई, जैसी सड़क मामले में देखने को मिली…

हालांकि यह भी सच है कि जिस सड़क पर मंत्री ने जांच की, उस पर कदम उठाना सराहनीय है, लेकिन जनता की अपेक्षा यह है कि यह सख्ती चयनित न होकर सर्वव्यापी हो, तारीफ के साथ तंज यही है कि अगर यही पैमाना शहर की सड़कों और जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं पर भी लागू हो जाए, तो सतना की तस्वीर शायद कुछ और ही हो….

फिलहाल, मंत्री की एक कार्रवाई ने उन्हें सुर्खियों में जरूर ला दिया है, लेकिन उसी के साथ यह सवाल भी छोड़ गई है, क्या सख्ती सिर्फ कैमरे के सामने दिखने वाली सड़कों तक ही सीमित रहेगी, या शहर की बदहाल गलियों और अस्पतालों तक भी पहुंचेगी?

यही सवाल आज सतना से निकलकर प्रदेश भर में गूंज रहा है………..

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