पार्टनरशिप और प्रॉपर्टी फर्जीवाड़ा: मृतक के नाम से वारसाना नामांतरण, जमीन बिकने तक का खेल…..
अमित मिश्रा/सतना

शहर की विवादित जमीनों में ‘साइलेंट पार्टनर’ पटवारी, करोड़ों की डील में गुपचुप हिस्सेदारी
सतना। शहर और आसपास के क्षेत्रों में प्रॉपर्टी विवादों में कुछ पटवारियों की संदिग्ध भूमिका का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। चर्चाएं हैं कि शहर की कई बेशकीमती और विवादित जमीनों में कुछ पटवारी न केवल हस्तक्षेप करते हैं, बल्कि पार्टनरशिप के जरिये इनसे मोटा मुनाफा भी कमाते हैं। सूत्र बताते हैं कि जब कोई व्यक्ति विवादित जमीन की जानकारी लेकर इन चर्चित पटावरियों के पास जाता है, तो उसे और उलझाने की कोशिश की जाती है। विवाद में फंसा व्यक्ति अंततः जमीन बेचने को मजबूर हो जाता है और यह पटवारी अपने साझेदारों को वह जमीन औने-पौने दाम में दिलवा देते हैं, जिससे दोनों पक्षों को भारी आर्थिक लाभ होता है।

इसी क्रम में कलेक्टर की जनसुनवाई में मंगलवार को एक अजब-गजब मामला सामने आया, जिसने इस पूरे नेटवर्क पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्राम पंचायत सोहौला निवासी देवकली सिंगरहा ने बताया कि उनके बेटे त्रिवेणी प्रसाद सिंगरहा की मौत 3 जुलाई 2021 को हो चुकी थी। बेटा गुजरने के बाद उसकी पत्नी अनीता सिंगरहा ने दूसरी शादी कर ली और रामपुर बाघेलान में रहने लगी। लेकिन, त्रिवेणी के नाम की 1.587 हेक्टेयर जमीन को अनीता ने पटवारी और सरपंच की मिलीभगत से अपने नाम करा ली और बेच भी डाली।
सबसे हैरानी की बात यह है कि अनीता ने 16 जून 2025 को, यानी त्रिवेणी की मौत के चार साल बाद, उसी के नाम से वारसाना नामांतरण का आवेदन कर दिया। तत्कालीन पटवारी रश्मि शुक्ला ने महज दो दिन में 18 जून 2025 को नामांतरण प्रमाणित भी कर दिया। ठीक इसी दिन उस जमीन का विक्रय पत्र भी निष्पादित कर दिया गया। देवकली ने कलेक्टर को बेटे का मृत्यु प्रमाणपत्र और चार साल बाद मृतक के नाम से किए गए आवेदन की कॉपी भी पेश की, जिससे फर्जीवाड़ा स्पष्ट हो गया।
कलेक्टर ने इस मामले में तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। चर्चाएं हैं कि यदि पटवारियों की प्रॉपर्टी, बैंक खातों और कॉल डिटेल्स की गहन जांच की जाए तो कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। यह मामला न केवल एक बेशकीमती जमीन की धोखाधड़ी का है, बल्कि इसमें स्थानीय स्तर पर चल रहे प्रॉपर्टी माफिया-सरकारी गठजोड़ की परतें भी उजागर होती हैं।