पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में आदिवासियों का दमन और अत्याचार हो रहा है। उन्होने आज कारम डैम में हुए भ्रष्टाचार व पीड़ितों के इंसाफ के लिए कांग्रेस विधायक पाचीलाल मेडा के नेतृत्व में निकाली जा रही आदिवासी न्याय यात्रा की भोपाल में अगवानी की। ये यात्रा कारम डैम से भोपाल तक निकाली जा रही है।
कमलनाथ ने इस न्याय यात्रा में शामिल सभी सदस्यों का का स्वागत करते हुए कहा कि कांग्रेस पूरी तरह आपके साथ खड़ी है और इस लड़ाई में हर मोर्चे पर साथ संघर्ष करेगी। उन्होने कहा कि हमने विधानसभा सत्र में भी इस मामले को उठाने की व सरकार से इस पर जवाब मांगने की पुरजोर कोशिश की, लेकिन सरकार कारम डैम के भ्रष्टाचार और प्रभावितों को न्याय के मामले में कोई चर्चा नहीं करना चाहती थी इसलिए हमारी बात को अनसुना किया गया। वहीं विधायक पाची लाल मेडा के साथ दुर्व्यवहार भी किया गया।
कमलनाथ ने कहा कि ‘कांग्रेस इस मामले में चुप नहीं बैठेगी। जब तक कारम डैम में हुए भ्रष्टाचार के दोषियों को सजा नहीं मिल जाती, जब तक प्रभावित व पीड़ित परिवारों को उचित राहत व मुआवजा नहीं मिल जाता है तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा। इस डेम के फूटने से कई गाँवों के निवासी, किसान और आदिवासी प्रभावित हुए हैं। उनके मकान बह गए, फसलें बर्बाद हो गई, उनके खेतों की मिट्टी तक बह गई और आज तक मुख्यमंत्री प्रभावितों से मिलने भी नहीं गए। उन्होने आरोप लगाया कि राहत व मुआवजे के जितने दावे किए गए थे वो सब अभी तक हवाहवाई हैं। आज भी कई प्रभावित बेघर हैं और उन्हें राहत व मुआवज़े के नाम पर कुछ नहीं मिला है।’
उन्होने कहा कि ‘आप लोग आज इतनी दूर से चलकर आए हैं, मैंं आपको धन्यवाद देता हूं। आपका संघर्ष खाली नहीं जाएगा। आपने आज पूरे प्रदेश की जनता को संदेश दिया है। आपका यही संघर्ष प्रदेश में परिवर्तन लाएगा। यह जो बांध था, भ्रष्टाचार का स्मारक था। मैंने खुद वहां जाकर कर देखा कि किस प्रकार यह बांध मिट्टी से बना हुआ था। यदि सरकार की नीयत साफ होती तो इसकी उच्चस्तरीय जांच कराती। लेकिन आप चिंता ना करें, 12 माह बाद हमारी सरकार आएगी और हम इसका खुलासा करेंगे तथा दोषियों को सजा देंगे। मैं जब कारम डैम आया था तो मैंने खुद देखा था कि किस प्रकार प्रभावितों के मकान बह गए, खेत समाप्त हो गए, उनका भारी नुकसान हुआ। मुझे पूरी उम्मीद थी कि शिवराज जी वहां आएंगे, प्रभावितों को मुआवजा देंगे, जमीन देंगे लेकिन उन्होंने झांका तक नहीं।’