जिलों की सीमाओं पर राजनीति नहीं, विकास की सोच जरूरी : सांसद गणेश सिंह…..
अमित मिश्रा/सतना।

मैहर जिले के कुछ गांवों के ग्रामीणों द्वारा रीवा जिले में शामिल होने के लिए आवेदन दिए जाने के बाद जिले की सीमाओं को लेकर नई बहस शुरू हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि नजदीकी और सुविधा के लिहाज से वे रीवा जिले में शामिल होना चाहते हैं, लेकिन इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग भी लेना शुरू कर दिया है।

सतना/मैहर सांसद गणेश सिंह ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट कहा कि एक जिले से दूसरे जिले की सीमा पर बसे गांव अगर अलग होने की सोचने लगें तो सीमाएं टूट जाएंगी और इससे लंबे समय से बने रिश्तों में खटास आ सकती है। उन्होंने कहा कि देशभर में जिलों की सीमाएं ऐतिहासिक व प्रशासनिक दृष्टि से तय हैं, ऐसे में नजदीकी के आधार पर सीमाएं बदलना उचित नहीं होगा।
सिंह ने उदाहरण देते हुए कहा कि चित्रकूट के लोगों को जिला मुख्यालय तक पहुंचने में लगभग 70 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है, जबकि सतना शहर के निवासियों को चित्रकूट तक पहुंचने के लिए केवल 25 किलोमीटर जाना पड़ता है। यदि इस तर्क पर सीमाएं बदलने लगें तो हर जिले में ऐसी परिस्थितियां सामने आएंगी। उन्होंने इसे खतरनाक प्रवृत्ति बताया और कहा कि इससे प्रदेशभर में जिलों की सीमाओं पर विवाद की स्थिति बन सकती है।
सांसद ने साफ कहा कि इस मुद्दे पर किसी भी राजनीतिक दल या संगठन को धर्म या राजनीति का सहारा लेकर बयानबाजी नहीं करनी चाहिए। यह जनता के कल्याण से जुड़ा विषय है और सभी जनप्रतिनिधियों को राजनीति से ऊपर उठकर इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने मैहर, मुड़वारा और चित्रकूट क्षेत्र के प्रतिनिधियों से अपील की कि वे आपसी कटुता फैलाने के बजाय विकास की दिशा में सोचें।
गणेश सिंह ने दोहराया कि जिले की सीमाओं में बदलाव का निर्णय भावनाओं के आधार पर नहीं बल्कि प्रशासनिक जरूरत और जनहित को ध्यान में रखकर ही होना चाहिए।