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जब SDM से लड़ते दिखे रितेश… जिला अस्पताल आंदोलन में विपक्ष की बेबाक आवाज, अफसरशाही के सामने तीखे सवाल….

विगत दिनों ज़िला अस्पताल सतना में थैलेसीमिया से पीड़ित मासूम बच्चों को एचआईवी पॉजिटिव रक्त चढ़ाए जाने की अमानवीय और झकझोर देने वाली घटना ने पूरे जिले को हिला दिया। इसी गंभीर लापरवाही के विरोध में कांग्रेस पार्टी द्वारा ज़िला अस्पताल परिसर में ज़ोरदार प्रदर्शन किया गया। काफी समय बाद विपक्ष का यह प्रदर्शन केवल एक औपचारिक धरना नही दिखा, बल्कि विपक्ष की उस भूमिका का जीवंत उदाहरण बना, जिसकी आज राजनीति में अक्सर अब कमी देखी जाती है।


इस आंदोलन के केंद्र में रहे कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता रितेश त्रिपाठी, जिनका तेवर, भाषा और आक्रामकता देखते ही बन रही थी,

प्रदर्शन के दौरान जब सिटी मजिस्ट्रेट एवं एसडीएम राहुल सिलाडिया मौके पर पहुंचे, तो माहौल अचानक गर्म हो गया, रितेश और एसडीएम के बीच हुई तीखी नोक-झोंक का वीडियो अब जिले से लेकर प्रदेश भर में चर्चा का विषय बन चुका है…

रितेश त्रिपाठी ने प्रशासन पर सीधा हमला बोलते हुए तेज आवाज में कहा- आज प्रशासन हमें प्रदर्शन करने से रोक रहा है, लेकिन जब चार मासूम बच्चों की ज़िंदगी के साथ खिलवाड़ हुआ, तब यही प्रशासन कहाँ था?
उन्होंने चिल्लाते हुए सवालों की झड़ी लगा दी, शहर में हूटर लगी गाड़ियां बेरोकटोक घूम रही हैं, वीआईपी मूवमेंट में आम लोग परेशान हो रहे हैं, अस्पताल में बच्चों को संक्रमित खून चढ़ा दिया गया, फिर भी किसी पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हुई?


रितेश ने आरोप लगाया कि ज़िला अस्पताल में खून, दवाइयों और एंबुलेंस तक में खुलेआम दलाली चल रही है और पूरा अस्पताल दलालों का अड्डा बन चुका है, यह सब स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की जानकारी में होने के बावजूद जानबूझकर जिम्मेदारों ने आंखें मूंद ली हैं, उन्होंने चल रही जांच को खानापूर्ति बताते हुए कहा कि दोषियों को बचाने का सुनियोजित प्रयास हो रहा है और प्रशासनिक संरक्षण के बिना इतनी बड़ी लापरवाही संभव नहीं है,

रितेश त्रिपाठी की यह बेबाकी लोगों को इसलिए भी अलग लगी क्योंकि आमतौर पर विपक्ष के नेता मुकदमा दर्ज होने के डर से अफसरों के सामने इतना खुलकर तेज आवाज में नहीं बोलते, लेकिन रितेश ने न तो भाषा पर लगाम लगाई और न ही सवालों की धार कम की, यही वजह रही कि वे एसडीएम और थाना प्रभारी के समक्ष अपनी बात मजबूती से रखते हुए लड़ते नजर आए…

हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम का एक दिलचस्प राजनीतिक पहलू भी देखने को मिला, जब रितेश प्रशासन से तीखी बहस कर रहे थे, उसी समय उनके पीछे बैठे कांग्रेस के एकाध कार्यकर्ता और नेता उत्साह की जगह मायूसी में डूबे नजर आए, उनकी इधर-उधर कानाफूसी, असहज चेहरे और खामोशी यह संकेत दे रही थी कि शायद रितेश का इस तरह लाइमलाइट में आना उन्हें रास नहीं आ रहा,

हालाकी यह राजनीति की पुरानी सच्चाई है, जब कोई चेहरा उभरता है, भीड़ में अलग नजर आता है, तो उसी संगठन के भीतर कुछ लोगों को तकलीफ भी होती है, लेकिन सच यही है कि इस आंदोलन के बाद रितेश त्रिपाठी सुर्खियों में हैं, सोशल मीडिया से लेकर बड़े प्रादेशिक और राष्ट्रीय चैनलों तक उनकी बहस, उनकी आवाज और उनके सवाल गूंज रहे हैं, माना जा रहा है कि उनके इस तेवर की सराहना प्रदेश नेतृत्व स्तर पर भी हो रही है,
युवा कांग्रेस क़े सभी जिला पदाधिकारियों व कार्यकरताओं ने एक स्वर में स्पष्ट मांग रखी है कि दोषी डॉक्टरों, ब्लड बैंक स्टाफ और जिम्मेदार अधिकारियों पर तत्काल एफआईआर दर्ज हो, पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा मिले और पूरे मामले की उच्चस्तरीय स्वतंत्र जांच कराई जाए, साथ ही चेतावनी दी गई है कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन और तेज होगा,
चर्चाएं है की युवाकांग्रेस का यह आंदोलन न सिर्फ सतना, बल्कि पूरे विपक्ष के लिए एक संदेश रहा, अगर जनता के हक की लड़ाई इसी तरह लड़ी जाए, तो सत्ता और अफसरशाही को जवाब देना ही पड़ेगा…..

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