डॉ. मोहन यादव सरकार की पहली अग्निपरीक्षा : 5 हजार प्राथमिक कृषि समितियों के चुनाव 24 फरवरी को….

प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार की पहली अग्निपरीक्षा 24 फरवरी को होगी, जबकि प्रदेश की 5 हजार प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के चुनाव होंगे। इसका आदेश कल हाईकोर्ट ने दिया है। हालांकि यह चुनाव दलीय आधार पर नहीं होते, लेकिन ज्यादातर प्रत्याशी किसी न किसी दल से जुड़े होते हैं, इस लिहाज से चुनाव पूरी तरह राजनीतिक हो जाते हैं।
प्रदेश में 24 फरवरी को समितियों के चुनाव होंगे, जिनमें करीब 45 लाख किसान हिस्सा लेंगे। प्रदेश में प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों के चुनाव दस साल से नहीं हुए हैं। कल आदेश के बाद सरकार ने इसकी तैयारियां करने के निर्देश दे दिए हैं।
विशेष परिस्थिति में बढ़ा सकते हैं अवधि
राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी एमबी ओझा का कहना है कि सहकारिता विभाग से समितियों की विस्तृत जानकारी मांगी गई है। सहकारी अधिनियम में सहकारी संस्थाओं का कार्यकाल समाप्त होने के छह माह पहले समिति द्वारा चुनाव कराने का प्रस्ताव भेजने का प्रावधान है। इस पर सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी कार्यालय सदस्य सूची तैयार करके चुनाव कराते हैं। यदि किसी कारण से समय पर चुनाव नहीं हो पाते हैं तो यह अवधि छह माह के लिए बढ़ाई जा सकती है। इसमें निर्वाचित संचालक मंडल के स्थान पर प्रशासक नियुक्त किया जाएगा। यह भी अधिकतम छह माह रह सकता है। विशेष परिस्थिति में अवधि छह माह और बढ़ाई जा सकती है। इसके बीच चुनाव कराने होंगे।
हाईकोर्ट कैसे पहुंचा मामला
दरअसल, शिवराज सरकार ने छतरपुर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक का अध्यक्ष करुणेन्द्र सिंह को बना दिया था, जिसके विरोध में कुछ लोग हाईकोर्ट पहुंचे और कहा कि अपात्र व्याक्ति अध्यक्ष बन गया है। इस नियुक्ति को रद्द करने के बाद सरकार डबल बैंच में गई, जहां से प्रदेश की 4531 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के चुनाव कराने का आदेश दिया गया। इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के पूर्व चुनाव कराने के निर्देश राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी एमबी ओझा ने आयुक्त सहकारिता को दिए। चुनाव कराने की तारीख 24 फरवरी तय की गई। चार चरणों में चुनाव कराए जाएंगे।
अपैक्स बैंक का अध्यक्ष भी चुना जाएगा
चुनाव के बाद राज्य अपैक्स बैंक का अध्यक्ष चुना जाना संभव होगा। प्राधिकारी ने सभी जिलों के सहकारी अधिकारियों से सात दिन के अंदर सदस्यता सूची उपलब्ध कराने के लिए कहा है। चुनावी प्रस्ताव के तहत प्रथम, द्वितीय और तृतीय चरण में विकासखंड वार संस्थाएं सम्मिलित करने की स्वतंत्रता जिला अधिकारियों की होगी। वह जिला कलेक्टर के मार्गदर्शन में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए सहकारी संस्थाओं का चयन करेंगे।