अनिल अग्रहरि पर धोखाधड़ी के गंभीर आरोप, पिता उमाचरण ने दर्ज कराई शिकायत…..
अमित मिश्रा/सतना।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से रुका अवैध निर्माण।
सतना। पिता-पुत्र के रिश्ते को शर्मसार कर देने वाला मामला सतना में सुर्खियों में है। वार्ड क्रमांक-1 में चल रहे एक अवैध निर्माण को नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रोक दिया। यह निर्माण उस जमीन पर किया जा रहा था, जिसे कथित तौर पर धोखे से तैयार पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर बेचा गया था। इस मामले में पिता उमाचरण अग्रहरि ने बेटे शिवा (अनिल) अग्रहरि पर गंभीर धोखाधड़ी और विश्वासघात के आरोप लगाए हैं।
मुख्त्यारगंज निवासी उमाचरण गुप्ता का कहना है कि वर्ष 2022 में उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। इसी दौरान उनके बेटे अनिल अग्रहरि ने रजिस्ट्री के जरिए धोखे से पावर ऑफ अटॉर्नी बनवा ली। जब उन्हें इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने तत्काल उसे रद्द करवा दिया। लेकिन हाल ही में पता चला कि बेटे ने उसी पावर ऑफ अटॉर्नी का दुरुपयोग करते हुए उनकी कई संपत्तियां बेच दीं।
नगर निगम आयुक्त से की गई शिकायत.


उमाचरण ने इस मामले की शिकायत कलेक्टर सहित विभिन्न स्तरों पर की और अंततः सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे। 11 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने इस जमीन पर किसी भी तरह का निर्माण कार्य रोकने का आदेश दिया। इसके बावजूद खरीदारों, पवन पाठक, स्वेशा गर्ग, आराधना श्रीवास्तव सहित अन्य लोगों द्वारा निर्माण कार्य जारी रखा गया।
नगर निगम आयुक्त ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए जांच दल को मौके पर भेजा। जांच में यह बात स्पष्ट हुई कि निर्माण पूरी तरह अवैध है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुली अवहेलना की जा रही थी। इसके बाद निगम ने तत्काल निर्माण कार्य रुकवाया।

पिता उमाचरण का कहना है कि यह विवाद केवल संपत्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि पारिवारिक विश्वास और सम्मान से जुड़ा मामला है। उनका आरोप है कि बेटे ने विश्वासघात कर संपत्ति बेचकर परिवार को अपमानित किया और अब अवैध कब्जे की कोशिश हो रही है। इस पूरे प्रकरण ने न केवल परिवार बल्कि शहरभर में सनसनी फैला दी है।