केंद्रीय नेतृत्व नहीं चाहता प्रदेश में दो शक्ति केंद्र, शुरू हुई शिवराज की नई भूमिका की तलाश
सबकी चिंता और चिंतन का विषय ये है कि क्या होगा प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह, गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा आदि का। इनकी क्या भूमिका रहेगी या क्या जिम्मेदारी दी जाएगी। नई सरकार में इंट्री होगी या दिल्ली वापसी? इस पर खूब बात हो रही है, लेकिन एक यक्ष प्रश्न तो ये है कि क्या होगा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का? केंद्रीय नेतृत्व और मातृसंस्था को ये सवाल ज्यादा परेशानी पैदा कर रहा है। हालांकि ये भी तय है कि जब मोहन पर फैसला हुआ है तो शिव के अंजाम पर भी रोडमैप तैयार होगा ही। लेकिन फिलहाल तो पार्टी के लिए चिंता और चौंकाने का विषय हो चली है पूर्व मुख्यमंत्री की सक्रियता। वे खेत में ट्रैक्टर चलाने से लेकर जज को खत भी लिख रहे हैं। लाड़लियों के बीच उनकी आवाजाही भी बदस्तूर जारी है। अब तो सोशल मीडिया का स्टेटस भी पूर्व मुख्यमंत्री से आगे मामा-भैया लिखा बता रहा हैं।
प्रदेश में आसीन हुए “मोहनराज’ में भी क्या “शिवराज’ कायम रहेगा? या “शिव’ का “राजपाट’ दिल्ली शिफ्ट हो जाएगा?
ये यक्ष प्रश्न प्रदेश में 13 दिसंबर को डॉ. मोहन यादव के राजतिलक के दिन से समूचे मध्यप्रदेश में तैर रहा है। इस सवाल का जवाब आने के पहले “घर नहीं जाऊंगा’ की तर्ज पर शिवराज की “दिल्ली नहीं जाऊंगा’ की दो टूक सामने आ गई। इस दो टूक ने प्रदेश भाजपा की राजनीति में हलचल पैदा कर दी हैं। पार्टी नेताओं में ये जिज्ञासा का विषय है कि शिवराज सिंह दिल्ली नहीं जाएंगे तो क्या मध्यप्रदेश में रहेंगे? यहां रहेंगे तो करेंगे क्या? पूर्व मुख्यमंत्री है। प्रदेश में मंत्री बनने से रहे। वो भी जूनियर नेता के अधीन। फिलहाल तो संभव नहीं। तो फिर पूर्व मुख्यमंत्री का होगा क्या? क्या वे ऐसे ही अपनी बहनों के बीच मूवमेंट करते रहेंगे?
नए निजाम की कायमी के 72 घंटे बाद भी ये सवाल अब तक हल नहीं हुआ है कि क्या शिवराज सिंह राष्ट्रीय राजनीति में जाएंगे? उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता है? उनके विषय में कहा जा रहा है कि वे कृषि विभाग का काम बेहतरीन तरीके से देख सकते हैं। वे अपने “भाईसाहब’ नरेंद्र सिंह तोमर वाला महकमा अच्छे से संभाल सकते हैं। जो अब खाली है और बतौर प्रभार किसी अन्य मंत्री के पास है। या उन्हें संगठन में अहम पद दिया जा सकता हैं, लेकिन ये सब तो दिल्ली में हैं। भोपाल में कहां? ये सब तो तब न, जब स्वयं शिवराज ये चाहे। वे तो खुलेआम घोषणा कर चुके हैं कि वे दिल्ली नहीं जाएंगे। वे ये भी दमदारी से कह चुके हैं कि अपने लिए कुछ मांगने से बेहतर मैं मरना पसंद करूंगा। तो फिर क्या होगा शिवराज सिंह का भाजपा में राजनीतिक भविष्य ?