रेवांचलरोशनी | कोरोना से ज्यादा उसका भूत तांडव मचा रहा है। चारों ओर कोहराम मचा हुआ है, त्राहिमाम त्राहिमाम हो रहा है।
बीमार लोगों की स्थिति सबसे ज्यादा दयनीय है। कोई भी डाॅक्टर हो या अस्पताल बीमारों को दूर कर रहे हैं चाहे कितनी भी गंभीर हालत क्यों ना हो। सरकारी अस्पताल के डाॅक्टर मरीजों से कह रहे हैं कि 3 मीटर दूर रहो, भला ऐसे कैसे हो सकता है, डाॅ. बिना नाड़ी देखे कैसे रोग पहचानेगा,
निजी चिकित्सकों व अस्पतालों की ओपीडी बंद करा दी गई है। गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए भटक रही हैं। गंभीर केस भगवान भरोसे हैं। कुछ दम तोड़ रहे हैं और कुछ सिसक रहे हैं। ऐसा हाहाकार कभी सोचा भी न था।
अगर यही स्थिति रही तो अराजकता फैल जाएगी तथा लूटपाट का तांडव मचेगा
कोराना से लोगों को बचाने के चक्कर में लोगों का उनके अनुसार उत्पीड़न जैसे रहा है वह भी अत्यंत दुखद ही है।
पहले सुबह-शाम बाजारों से खरीददारी का समय निर्धारित किया, फिर केवल सुबह का ही कर दिया, फलस्वरूप अब भीड़ एक साथ टूटती है लोग क्या करें समझ नही पा रहे है,।
इससे भी ज्यादा भयंकर स्थिति जीव-जंतुओं पशु पक्षियों की है। कुत्ते-बंदर आदि भूख से छटपटा रहे हैं। पहले तो लोग उन्हें खाने को कुछ ना कुछ डालते थे तथा खान-पान की दुकानों के खुलने से झूठन आदि से पेट भर लेते थे। अब तो यह भी सब बंद है। बेसहारा गायों की स्थिति तो बड़ी दुखद है। बेचारी इधर-उधर रंभाती भटक रही है। पहले लोग पक्षियों को चुगा डालते थे, अब तो वह भी बंद है क्योंकि दिन भर घर में बंद रहते हैं और थोड़ा सा समय मिलता है। उसमें अपनी रोजमर्रा की वस्तुओं की खरीद आदि में लग जाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 21 दिन का लाॅकडाउन तो अच्छी नियत से किया था किंतु उसका रिजल्ट कुछ लोगो के कारण और गरीवी बेरोजगारी के कारण आशा के विपरीत भी दिखाई दे रहा है,
कोरोना के भूत ने जो कोहराम मचाया है उससे कुछ जिंदा लोग मरे लोगों से भी ज्यादा बदतर जिंदगी जी रहे हैं।,
इसका कारण कुछ विशेष समझ नही आ रहा लेकिन जो हो रहा है उसे भी सही नही कहा जा सकता,
ये प्रकृति का कैसा खेल है जो समझ से परे है, लोग अपनो से नही मिल पा रहे, भोजन पानी के लिए भटक रहे है,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो निर्णय लिया है उसे पूरे देश ने स्वीकारा है, और यही उचित भी था, लोगो अनुशार निर्णय लेने की जो क्षमता प्रधानमंत्री मोदी में है वो बहुत कम नेताओ में देखने को मिलती है,
इस समय जनता महंगाई की मार तो झेल ही रही है, साथ ही ऐसी नरकीय जिंदगी जी रही है जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता। जैसे एक बकरी को झटके में काट कर मार दिया जाता है और दूसरे बकरे को धीरे धीरे काटकर मारा जाता है, वह बड़ा क्रूर और भयानक होता है। ठीक ऐसी स्थिति जनता की हो रही है।
लोग कह रहे हैं कि यह सब जनता के भले के लिए हो रहा है आंगे क्या होगा राम जानें,
अब ईश्वर को जो मंजूर होगा वही होगा लेकिन ये कोरोना का डर, कोरोना का भूत और न समझी उस वायरस से भी ज्यादा खतरनाक है,,
रेवांचलरोशनी अपील- आप सभी घर मे रहे, स्वस्त रहें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करे इसी में आपकी और देश की भलाई है,,,,,
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