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अपमान की आग में पनपा अपराध, ट्रेन की एक सीट से चली गोली तक की कहानी……

अमित मिश्रा/सतना।

गुस्से ने छीनी इंसानियत, कानून से ऊपर बना बदला…..

विकलांगता भी नहीं बनी अपराध से रोक….

सीख या सजा? समाज के लिए चेतावनी बनी फिल्मी वारदात….

सतना में गुरुवार शाम घटी यह सनसनीखेज वारदात केवल एक गोली चलने की घटना नहीं, बल्कि समाज को झकझोर देने वाली चेतावनी है कि अपमान, गुस्सा और बदले की भावना जब हावी हो जाए, तो इंसान किस हद तक गिर सकता है। ट्रेन में सीट के मामूली विवाद से शुरू हुई कहानी ने डेढ़ महीने बाद खूनी मोड़ ले लिया।

सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के प्रेमनगर इलाके में बिजली कंपनी के प्यून रामनरेश वर्मन (60) को एक दिव्यांग युवक ने कट्टे से गोली मार दी। हैरानी की बात यह रही कि गोली सीने में लगने के बावजूद रामनरेश ने साहस दिखाया और हमलावर से भिड़ गए। हाथापाई के दौरान आरोपी का कृत्रिम पैर अलग हो गया, जिसके बाद वह एक पैर से कूदते हुए मौके से फरार हो गया।

घायल हालत में भी रामनरेश कट्टा और नकली पैर लेकर स्वयं कोतवाली पहुंचे। उनकी हालत देखकर पुलिसकर्मी भी दंग रह गए। तत्काल उन्हें जिला अस्पताल भेजा गया, जहां इलाज जारी है।

पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी राजेंद्र सोनी ने यह हमला अचानक नहीं किया, बल्कि पूरी योजना के तहत किया था। डेढ़ महीने पहले ट्रेन में सीट मांगने पर कथित तौर पर अपशब्द और धक्का मिलने की घटना ने उसके मन में बदले की आग भर दी। उसी अपमान का बदला लेने के लिए उसने एक सप्ताह तक रामनरेश की रेकी की.. उनकी ट्रेन, समय, रास्ता और दिनचर्या तक का पूरा खाका तैयार किया।

स्मार्ट सिटी के सीसीटीवी फुटेज और मौके से मिले कृत्रिम पैर पर लिखे नाम के आधार पर पुलिस आरोपी तक पहुंची। आरोपी संग्राम कॉलोनी का रहने वाला है, अविवाहित है और बुजुर्ग मां के साथ रहता है। वर्ष 2022 में ट्रेन से गिरने से उसका एक पैर कट गया था। इसी दौरान उसने अवैध कट्टा खरीदा, जिससे इस वारदात को अंजाम दिया। आरोपी पर पहले से 8 आपराधिक मामले दर्ज हैं।

यह घटना समाज के लिए बड़ा सबक है। अपमान का जवाब कानून से लिया जाना चाहिए, न कि हथियार से। विकलांगता सहानुभूति का विषय हो सकती है, लेकिन अपराध का बहाना नहीं। वहीं, छोटी-छोटी बातों पर अपशब्द, असंवेदनशील व्यवहार और अहंकार भी ऐसे अपराधों की जड़ बनते हैं।

यह वारदात प्रशासन, समाज और आम नागरिक, सभी के लिए चेतावनी है कि गुस्से और बदले की आग में जलता व्यक्ति अंततः खुद को और दूसरों को ही जला देता है। कानून का रास्ता ही एकमात्र समाधान है, यही इस घटना की सबसे बड़ी सीख है…….

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