वंदे मातरम कार्यक्रम में जिला अध्यक्ष नहीं गा पाए गीत, सवालों के घेरे में ज्ञान की कमी…..
अमित मिश्रा/सतना।

सतना। भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रवादी सोच पर कोई उंगली नहीं उठाई जा सकती, लेकिन जब पार्टी के शीर्ष पदाधिकारी ही अपने कार्यक्रम के विषय पर अटके दिखें, तो सवाल उठना स्वाभाविक है, ऐसा ही कुछ हुआ बीते दिन भाजपा कार्यालय में आयोजित वंदे मातरम गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान,
इस मौके पर भाजपा जिला अध्यक्ष भगवती पांडे और महापौर सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे, पत्रकार वार्ता में जब एक पत्रकार ने जिला अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वे वंदे मातरम गीत की चार पंक्तियां सुनाएं, तो माहौल रोमांचित हो उठा, सभी को उम्मीद थी कि पांडे जी गीत गाकर कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे, लेकिन उन्होंने माइक उठाने के बाद मुस्कराते हुए कहा- अब यह गीत हमारे दूसरे कार्यकर्ता सुनाएंगे, यह सुनकर सभी बैठे लोग अचंभित हो गए..
वीडियो वायरल होते ही लोगों ने सवाल उठाया कि जब वंदे मातरम के नाम पर यात्रा और उत्सव आयोजित किए जा रहे हैं, तो गीत की जानकारी और भावार्थ तो कम-से-कम आयोजकों को होनी चाहिए, पार्टी के अंदर बढ़ती सतही जानकारी और प्रतीकात्मक आयोजनों की प्रवृत्ति को लेकर भी चिंता जताई गई,
यह पहली बार नहीं है जब भाजपा पदाधिकारियों से इस तरह की असहज स्थिति बनी हो, कुछ समय पहले स्वतंत्रता दिवस पर निकाली गई झंडा यात्रा के दौरान भी पार्टी के कई वरिष्ठ नेता यह नहीं बता पाए थे कि तिरंगा किसने बनाया,
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि जब संगठन राष्ट्रभक्ति और वैचारिक अनुशासन की बात करता है, तो उसके नेतृत्वकर्ताओं को भी विषय की गहराई से जानकारी रखना आवश्यक है, वरना ऐसे क्षण न केवल संगठन की छवि धूमिल करते हैं, बल्कि राष्ट्रवाद जैसे गंभीर विषय को भी हल्का बना देते हैं….