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सतना में ग्रीनलैंड पर अवैध प्लॉटिंग, प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल…..

अमित मिश्रा/सतना।


आखिर किसकी सहमति से निडर हैं जमीन कारोबारी?

सतना। शहर के कृपालपुर क्षेत्र में ग्रीनलैंड श्रेणी की लगभग सात एकड़ भूमि पर अवैध प्लॉटिंग और बिक्री का मामला सामने आए महीनों बीत चुके हैं। शिकायतों और चर्चाओं के बावजूद अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्यवाही न होना स्थानीय नागरिकों के बीच सवाल खड़े कर रहा है। आखिर किन परिस्थितियों में भूमि कारोबारी इतने निडर होकर प्लॉटिंग, सड़क-नाली निर्माण और फार्म हाउस खड़े करने का साहस कर रहे हैं?

नियम स्पष्ट, फिर भी धड़ल्ले से प्लॉटिंग……….

कानून के अनुसार ग्रीनलैंड श्रेणी की जमीन का उपयोग केवल कृषि और हरित गतिविधियों के लिए किया जा सकता है। इस श्रेणी में प्लॉटिंग, बिक्री, सड़क या नाली निर्माण जैसी गतिविधियां पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। इसके बावजूद कृपालपुर क्षेत्र में जमीन का छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजन कर प्लॉट और फार्म हाउस बनाए गए। यहां तक कि सड़क और नाली तक का निर्माण बिना अनुमति करवा दिया गया।

खरीदारों में गहराता आक्रोश

जानकारी के मुताबिक, कुछ खरीदारों से मोटी रकम लेकर सौदे किए गए। कुछ मामलों में रजिस्ट्री कराई गई, तो कई जगह केवल एग्रीमेंट ही थमा दिया गया। रजिस्ट्री न होने व जमीन ग्रीनलैंड की होने से खरीदार खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। कई पीड़ितों का कहना है कि उनकी जमा-पूंजी फंस गई है और वे अब न्याय के लिए भटक रहे हैं। इस स्थिति ने पूरे क्षेत्र में असंतोष और आक्रोश को जन्म दिया है।

कानूनी अड़चनें और शंकाएं

विभागीय सूत्रों के अनुसार, जब तक भूमि के अभिलेखों में “ग्रीनलैंड” दर्ज है, उसकी रजिस्ट्री कानूनी रूप से संभव ही नहीं है। बावजूद इसके, जानकारी छुपाकर रजिस्ट्री कराए जाने की बातें सामने आ रही हैं। यह स्थिति न केवल गंभीर है बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही पर भी सवाल उठाती है।

शिकायत भोपाल तक पहुंचने की तैयारी।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब तक उच्चस्तरीय जांच नहीं होगी, दोषियों पर कार्रवाई संभव नहीं है। कई पीड़ित इस मामले की शिकायत सतना से लेकर भोपाल तक ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। लोगों का आरोप है कि प्रशासनिक ढिलाई या सहमति के बिना इतनी बड़ी प्लॉटिंग संभव ही नहीं थी।

लोगों ने आरोप लगाया की इस ग्रीनलैंड की जमीन पर अंशुल खरे, जानी चतुरानी व उनके अन्य साथी कारोबारियों ने प्लॉटिंग की है। सवाल है कि प्रशासन सबकुछ जानते हुए भी मूकदर्शक क्यों बना हुआ है?

नागरिकों की मांग…..

क्षेत्रवासियों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और अवैध प्लॉटिंग पर तुरंत रोक लगे। साथ ही खरीदारों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए ताकि भविष्य में कोई भी नागरिक ग्रीनलैंड की जमीन के नाम पर गुमराह न हो सके।


नियम क्या कहते हैं?

  • ग्रीनलैंड भूमि का उपयोग केवल खेती और हरित कार्यों के लिए किया जा सकता है।
  • इस श्रेणी की जमीन पर प्लॉटिंग, फार्म हाउस या व्यावसायिक निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित है।
  • सड़क, नाली या अन्य संरचनाओं का निर्माण भी प्रशासनिक अनुमति के बिना गैरकानूनी है।
  • ग्रीनलैंड दर्ज रहने तक इस भूमि की रजिस्ट्री कानूनी रूप से मान्य नहीं है।

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