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70 टीमें, करोड़ों संसाधन और 13 दिन का तमाशा, आखिरकार अर्चना तिवारी बरामद…….

अमित मिश्रा/सतना।

पुलिस को चकमा देने वाली वकील दीदी पर सवाल, सिस्टम को हलाकान करके क्या मिला? पूरे 13 दिन तक देशभर की पुलिस, मीडिया और समाज को सिरदर्द देने वाली कटनी की अर्चना तिवारी आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ीं। बरामद शब्द सुनते ही आम तौर पर सहानुभूति उमड़ती है, लेकिन इस मामले में सहानुभूति नहीं, बल्कि सवाल खड़े होते हैं। वजह साफ है, बहन जी वकील भी हैं, कानून की बारीकियां समझती हैं और उसी का फायदा उठाकर उन्होंने भागने का ऐसा नाटक रचा, जिससे पूरा प्रशासन हांफता रहा।

फोन उस जगह फेंक दिया जहाँ नेटवर्क न मिले, ताकि लोकेशन गुमराह करे, ट्रेन की सीट पर सामान छोड़कर अनहोनी का सीन बना डाला, इटारसी में CCTV रहित प्लेटफॉर्म चुना और फिर दोस्त की गाड़ी से उन रास्तों से फरार हो गईं जहाँ टोल न लगे, पहचान छिपाने के लिए राज्य बदला और विदेश भागने का मन भी बना लिया,

नदी-नाले, पहाड़-जंगल खंगालती रही पुलिस।

उधर 70 से ज्यादा पुलिस टीमें नदी-नाले, पहाड़-जंगल खंगाल रही थीं और रात-रात भर अफसरों की नींद हराम थी……

शायद विपक्ष भी सरकार को घेरने की तैयारी में था, अगर युवती को कुछ हो गया तो?

सत्ता पक्ष डर में था, कहीं सुरक्षित न मिली तो? और इस बीच गुमशुदा दीदी मज़े से प्रशासन को नचाती रहीं।

जब बरामद हुईं तो पुलिस भी बेबस हो गई। वजह? कानून कहता है कि बालिग महिला अपनी मर्जी से कहीं भी जा सकती है। यानी चाहे पूरे सिस्टम का पेट फट जाए, पर बहन जी की मर्जी से कोई सवाल नहीं।

दीदी के परिचितों द्वारा बताई गई अब असली वजह सुनिए, घर वालों ने शादी पटवारी से तय कर दी थी, अरे पटवारी ही तो था, मंगल ग्रह का प्राणी नहीं! लेकिन बहन जी को यह नागवार गुजरा, और फिर पूरा देश परेशान कर दिया।
सवाल यह है कि अगर इतनी मास्टर प्लानिंग दिमाग में थी तो सीधे-सीधे क्यों न कह दिया, मुझे पटवारी नहीं चाहिए, कम से कम डिप्टी कलेक्टर चाहिए।

ऐसे मामलों से समाज में महिलाओं के प्रति जो सद्भावना है, वह भी चोटिल होती है। सायद कोई पिता जब बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने जाता होगा तो थाना स्टाफ व लोग भी दवी जवान ताना मारते होगे! भाग गई होगी? कारण अर्चना जैसी चालाक दीदी, जो सिस्टम की मेहनत और संसाधन दोनों का मजाक बनाती है…..

जरूरत है कि कानून में संशोधन कर ऐसे मामलों में जवाबदेही तय हो, करोड़ों का संसाधन झोंककर, 70 से ज्यादा टीमों की मेहनत झोंककर, अगर यह सब किसी के नखरे निभाने में खर्च हुआ तो वसूली भी उसी तथाकथित पीड़िता से होनी चाहिए।

पुलिस का खुलासा सुनते ही सोशल मीडिया पर लोग ठहाके लगा रहे हैं, मीम्स की बाढ़ आई हुई है, और हर किसी की जुबान पर एक ही लाइन…
वाह… दीदी… वाह…….!

लेखक:-अमित मिश्रा, सतना…….!

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