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रसूख के हूटर के आगे बेबस पुलिस, हाईकोर्ट आदेश के बाद भी सतना में नहीं हटे अवैध हूटर………

अमित मिश्रा/सतना।

सतना। हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने निजी वाहनों से हूटर और गलत नंबर प्लेट सात दिन के भीतर हटाने का अंतरिम आदेश जारी किया था। लेकिन आदेश के हफ्तों बाद भी सतना में न तो पुलिस और न ही परिवहन विभाग इस पर अमल करा सका। नतीजा यह है कि शहर की सड़कों पर रोजाना सैकड़ों अवैध हूटर लगे वाहन बेखौफ दौड़ते नजर आते हैं।

सर्किट हाउस, सरकारी दफ्तरों और प्रमुख चौराहों पर हूटर लगी गाड़ियों की कतारें आसानी से देखी जा सकती हैं। कई बार जरा सा ट्रैफिक जाम होते ही पीछे से तेज आवाज में हूटर बजाना शुरू कर दिया जाता है, जिससे आम लोग परेशान होते हैं। खास बात यह है कि ऐसे वाहन ज्यादातर नेताओं, जनप्रतिनिधियों, उनके रिश्तेदारों, समर्थकों और कार्यकर्ताओं के होते हैं।

शहर में जन चर्चा है कि जिम्मेदार अधिकारी भी इन वाहनों पर कार्रवाई करने से कतराते हैं। डर यह रहता है कि अगर बड़े जनप्रतिनिधियों या उनके करीबियों की गाड़ियां रोकीं तो राजनैतिक दबाव, जांच या तबादले जैसी स्थिति बन सकती है। इसी कारण हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद, हूटर हटाने की कार्रवाई ठंडे बस्ते में है।

कानून क्या कहता है
मोटर वाहन अधिनियम के तहत हूटर या सायरन का इस्तेमाल केवल पुलिस, फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस के वाहनों को ही अनुमति है। किसी भी जनप्रतिनिधि, मंत्री या पार्टी पदाधिकारी को निजी वाहन में हूटर लगाने का अधिकार नहीं है। फिर भी, सतना और जिले भर में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

कानूनी प्रावधानों के अनुसार, ऐसे वाहनों से हूटर हटाना और जुर्माना लगाना पुलिस व परिवहन विभाग की जिम्मेदारी है। लेकिन फिलहाल, जिले में कानून से ज्यादा रसूख का सिक्का चल रहा है।

जनता में इस लापरवाही को लेकर नाराजगी है। लोग सवाल कर रहे हैं कि जब हाईकोर्ट का आदेश और साफ कानून मौजूद है, तो फिर पुलिस कार्रवाई से पीछे क्यों हट रही है? अगर जल्द ही सख्ती नहीं हुई, तो अवैध हूटर का यह शोर प्रशासन की कार्यशैली पर और भी सवाल खड़े करेगा।

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