सतना में राशन घोटाले का खुलासा: देवास भेजे गए दो ट्रक चावल स्थानीय राइस मिल में अनलोड, प्रशासन मौन!

सतना। सरकार द्वारा गरीबों को दिए जाने वाले मुफ्त चावल को लेकर सतना में एक बड़ा खुलासा सामने आया है। 12 जून को नागरिक आपूर्ति निगम की यूनिट-1 शाखा के अंतर्गत स्थित मूकमाटी वेयरहाउस से दो ट्रकों में भरकर चावल देवास के लिए रवाना किया गया था। लेकिन यह चावल गंतव्य तक कभी पहुंचा ही नहीं। दोनों ट्रक देवास जाने की बजाय सीधे विद्याश्री राइस मिल पहुंचे, जो कि मूकमाटी वेयरहाउस के मालिक की निजी मिल है। यह मिल सतना नदी क्षेत्र में स्थित है। वहां रात के अंधेरे में चुपचाप दोनों ट्रकों को अनलोड कर दिया गया। यह संदेह से परे नहीं है कि इस कार्य में ट्रांसपोर्टर और मिल मालिक की मिलीभगत है, और संभव है कि इसमें विभागीय अधिकारियों की भी अनदेखी या मौन स्वीकृति रही हो। चौंकाने वाली बात यह है कि इस गड़बड़ी की जानकारी जब फूड विभाग को लगी, तो उसके कुछ कर्मचारी देर रात जांच के लिए मौके पर भी पहुंचे, लेकिन न तो कोई कानूनी कार्रवाई हुई और न ही कोई एफआईआर दर्ज की गई। सब कुछ महज कागजी खानापूर्ति तक सीमित रह गया। इस खेल में सबसे ज्यादा भूमिका मूकमाटी वेयरहाउस व राइस मिल के संचालक सौरव जैन की है। इस मामले में विभाग के प्रबंध संचालक अनुराग वर्मा से भी बात करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नही हो सका।
क्या था चावल का असली मकसद?
इस चावल को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत देवास भेजा जाना था, ताकि वहाँ के गरीब परिवारों को सस्ते दर पर खाद्यान्न उपलब्ध हो सके। लेकिन चावल को बीच रास्ते में ही उतार लिया गया और आशंका जताई जा रही है कि इसे खुले बाजार में ऊंचे दामों में बेचने की तैयारी थी। यह सीधे-सीधे गरीबों के हक पर डाका है।
प्रशासनिक चुप्पी पर सवाल —
इस पूरे मामले में जब नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक पंकज बोरसे से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने जवाब दिया की वो छुट्टी पर थे, फूड ने जांच की होगी। हालांकि उनके पास इसकी कोई जानकारी नही आई। हालांकि फूड अफसरों ने न तो कोई आधिकारिक बयान दिया, न ही जांच या कार्रवाई को लेकर कोई स्पष्टीकरण।
विद्याश्री राइस मिल व मूकमाटी वेयरहाउस संचालक…👇

अब सवाल यह उठते हैं —
- यदि ट्रक देवास की बजाय मिल में पहुंचा, तो ट्रैकिंग सिस्टम और निगरानी तंत्र कहां थे?
- क्या ट्रांसपोर्टर और मिलर के बीच पहले से सेटिंग थी?
- फूड विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचने के बाद भी चुप क्यों रहे?
- क्या इस मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है?