वन विभाग की छाया में करोड़ों की बंदरबांट, पनगरा का लाला बना ‘सरकारी ठेकेदार’…..
अमित मिश्रा/सतना।

काम मझगवां में, भुगतान नागौद वालों को, वन अफसरों की सरपरस्ती में लाखों का बंदरबांट
सतना। वन विभाग की मझगवां रेंज भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुकी है, जहां नियम-कायदे ताक पर रखकर सरकारी धन की खुलेआम लूट हो रही है। इस पूरे नेटवर्क की कड़ी है पनगरा गांव का लाला कुशवाहा, जिसे अधिकारियों का ‘खासमखास’ माना जाता है। विभागीय अफसरों की शह पर यह व्यक्ति वर्षों से करोड़ों की योजनाओं का सीधा लाभ उठा रहा है, जबकि स्थानीय मजदूरों को रोजगार और भुगतान से वंचित किया गया।
तालाब खुदाई से पौधरोपण तक, सब लाला के नाम–
मझगवां रेंज में तालाब निर्माण से लेकर पौधरोपण तक के सारे काम स्थानीय बीटों में होते हैं। कररिया, अमिरती, चितहरा और लेदरी बीट में हजारों गड्ढे खुदवाए गए, जेसीबी चलाई गई, मजदूर लगे, लेकिन भुगतान हुआ नागौद ब्लॉक के लोगों के नाम पर। खास बात यह है कि तालाब खुदाई जैसे महंगे काम लाला कुशवाहा की जेसीबी से कराए गए और सारे भुगतान भी उसी के नाम या उसके रिश्तेदारों के नाम दर्ज कर दिए गए।
तत्कालीन रेंजर की भूमिका संदिग्ध-
इस पूरे घोटाले में तत्कालीन रेंजर पंकज दुबे की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। आरोप है कि लाला कुशवाहा इस रेंजर के कार्यकाल में विभागीय लेनदेन का केंद्र बन गया था। विभागीय कार्यों में उसे ठेकेदार की तरह पेश किया जाता और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उसे लाखों का भुगतान कर दिया जाता।
बीट स्तर पर भी गड़बड़झाला–
कररिया बीट में जून 2025 से पहले हुए कामों की फाइलें खंगालने पर साफ हो जाएगा कि वन रक्षक, सर्किल प्रभारी और अफसरों ने मिलकर योजनाओं को लूट की चक्की बना दिया। अमिरती, चितहरा और लेदरी बीट में भी ऐसे ही फर्जी भुगतान के मामले सामने आ सकते हैं। हकीकत ये है कि जिन मजदूरों ने दिन-रात काम किया, उनके नाम भुगतान सूची में नहीं हैं।