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जिला अस्पताल सतना की हकीकत: मरीज बेहाल, पंखे बीमार, निछावर की लूट जारी!

अमित मिश्रा/सतना।

सतना जिला अस्पताल के प्रसूति वार्ड की हालत इतनी बदतर है कि यहां मरीजों से ज्यादा पंखे बीमार हैं। भीषण गर्मी में नवजात शिशु और प्रसूताएं सीलिंग फैन के नाम पर सिर्फ हवा की उम्मीद में तड़पते नजर आते हैं। मरीजों के परिजन घर से पंखे लाकर इलाज करवाने को मजबूर हैं। यह दृश्य डिजिटल भारत के उस स्याह पहलू को उजागर करता है, जहां नेताओं की दशा पाँच साल में फर्श से अर्श पर पहुंच जाती है, लेकिन आमजन की बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं आज भी दम तोड़ रही हैं।

हर साल सरकार नवनिर्माण और रखरखाव पर करोड़ों खर्च करती है, लेकिन जिला अस्पताल की हकीकत देखिए आजादी के 76 साल बाद भी यहां प्रसूति वार्ड की हवा तक दम तोड़ चुकी है। बड़े अधिकारियों के लिए एयर कूल्ड ऑफिस बनते हैं, मगर वार्ड में गर्मी से तड़पते मां-बच्चे व्यवस्था की विफलता का आईना दिखा रहे हैं।

इतना ही नहीं, यहां निछावर प्रथा आज भी बेरोकटोक जारी है। नवजात चाहे लड़का हो या लड़की, परिजन से निछावर वसूली जाती है। जबकि शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि सरकारी अस्पतालों में डिलीवरी के बाद कोई आर्थिक लेन-देन नहीं होगा। मगर डॉक्टरों की मिलीभगत से यह प्रथा अब एक खुला खेल बन चुकी है।

अब सवाल उठता है इस सिस्टम के लिए जिम्मेदार कौन?
सांसद, विधायक, राज्य मंत्री, जिला पंचायत सदस्य, महापौर, स्पीकर, पार्षद, जनपद सदस्य और कई सैकड़ो सरपंचों के बाद भी हालात यही हैं तो क्या गरीब हर चुनाव में सिर्फ झूठे वादों के लिए वोट देता रहेगा?

लोग कह रहे की यह सिर्फ अस्पताल नहीं, बल्कि व्यवस्था के बीमार होने का प्रमाण है।

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