किशोरावस्था के मामूली अपराध पर नहीं रोकी जा सकती नियुक्ति: हाईकोर्ट का अहम फैसला…..

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि नाबालिग अवस्था में किए गए अत्यंत मामूली अपराध के आधार पर किसी योग्य उम्मीदवार को सरकारी सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने सेना भर्ती के मामले में निर्देश देते हुए एक माह के भीतर नियुक्ति की कार्रवाई पूरी करने का आदेश दिया है।
जस्टिस विवेक जैन की एकल पीठ ने यह निर्णय सतना निवासी याचिकाकर्ता पुष्पराज सिंह की याचिका पर सुनाया। याचिकाकर्ता ने सैनिक पद के लिए आवेदन किया था और लिखित व शारीरिक परीक्षा में सफलता भी प्राप्त की थी, बावजूद इसके उसे यह कहकर अयोग्य घोषित कर दिया गया कि उसने अपने नाबालिग अवस्था में दर्ज मामूली आपराधिक मामले की जानकारी नहीं दी थी।
मामले में वर्ष 2017 में याचिकाकर्ता पर गाली-गलौज का आरोप था, जिस पर किशोर न्याय बोर्ड ने केवल ₹1000 का जुर्माना लगाकर सजा दी थी। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा अपराध न तो गंभीर है और न ही नियुक्ति से वंचित करने योग्य।
कोर्ट ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता के लिखित एवं शारीरिक परीक्षा के आधार पर एक महीने के भीतर नियुक्ति की जाए। यह निर्णय न्यायपालिका की संवेदनशीलता और पुनर्वास की भावना को दर्शाता है।